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    इसीलिए होती हैं 12 राशियां

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 02 Jul 2016 04:35 PM (IST)

    इस तरह से सूरज साल में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। ...और पढ़ें

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    आकाश को जब 360 डिग्री से ग्लोब पर 12 भागों में विभक्त किया जाता है, तो 30-30 डिग्री की एक राशि निकलती है। इन्हीं राशियों को मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,धनु, मकर, कुम्भ और मीन कहा जाता है। कुछ पंचांग में सूर्य-राशि के रूप में तथा कुछ में चंद्र-राशी के रुप में भविष्यफल का उल्लेख रहता है, किन्तु ये पूर्णतया अवैज्ञानिक होती हैं।

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    यदि पृथ्वी, सूर्य के केन्द्र और पृथ्वी की परिक्रमा के तल को चारो तरफ ब्रम्हाण्ड में फैलाए, तो यह ब्रम्हाण्ड में एक तरह की पेटी सी बना लेगा। इस पेटी को हम 12 बराबर भागों में बांटें तो हम पाते हैं कि इन 12 भागों में कोई न कोई तारा समूह आता है।

    हमारी पृथ्वी और ग्रह, सूरज के चारों तरफ घूमते हैं या इसको इस तरह से कहें कि सूरज और सारे ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष इन 12 तारा समूहों से गुजरते हैं। यह किसी अन्य तारा समूह के साथ नहीं होता है इसलिये यह 12 महत्वपूर्ण हो गये हैं। इस तारा समूह को हमारे पूर्वजों ने कोई न कोई आकृति दे दी और इन्हे राशियां कहा जाने लगा।

    यदि हम किसी समाचार पत्र, टीवी, रेडियो और वेबसाइट पर देखें तो पायेंगें कि 12 राशियों की शुरूआत मेष से शुरू होते हैं। दरअसल वर्ष की शुरुआत जनवरी माह में होती है। उस समय सूरज दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्द्ध जाता है। साल के समाप्त होने तक दिसंबर माह तक सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर फिर से दक्षिणी गोलार्द्ध पहुंच जाता है।

    इस तरह से सूरज साल में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। यह इसलिए कि, तब दिन और रात बराबर होते हैं। यह समय लगभग 20 मार्च तथा 23 सितम्बर को आता है। जब यह मार्च में आता है तो उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले महा बसंत विषुव कहते हैं, और जब सितम्बर में आता है तो इसे शरद विषुव कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन ऋतुओं के आने की सूचना देता है।

    ज्योतिष के शुरू होने के समय, विषुव (विषुव वर्षा का वह समय है, जब सूर्य विषुवत रेखा पर दोपहर के समय ऊर्ध्वाधर होता है। इस समय दोनों गोलार्द्धों में समान प्रकाश एवं ऊर्जा प्राप्त होती है।) अप्रैल के माह में आता था, इसीलिए राशि चक्र मेष से शुरू होता है। हिंदू माह का पंचांग यानी चैत्र माह की शुरुआत भी अप्रैल से ही शुरू होती है। अब यह मार्च के महीने में आ गया है यानी कि मीन राशि में आ गया है।