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    Sita Navami 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें जगत जननी मां सीता की पूजा, अन्न और धन की कमी होगी दूर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 14 May 2024 04:53 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 मई को सुबह 06 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 17 मई को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन मां सीता का प्राकट्य मध्याह्न बेला में हुआ है। सीता नवमी पर मध्याह्न बेला सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है।

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    Sita Navami 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें जगत जननी मां सीता की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sita Navami 2024: सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जगत जननी मां सीता का प्राकट्य हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष 16 मई को सीता नवमी है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम संग मां सीता की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि हेतु व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु सीता नवमी पर जगत जननी की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी मां सीता संग भगवान राम की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सीता नवमी पर इस शुभ मुहूर्त में मां जानकी की पूजा करें।

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    शुभ मुहूर्त

    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 मई को सुबह 06 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 17 मई को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन मां सीता का प्राकट्य मध्याह्न बेला में हुआ है। सीता नवमी पर मध्याह्न बेला सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में मां सीता की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    सीता नवमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय जगत जननी मां सीता एवं भगवान श्रीराम को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद लाल रंग का नवीन वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब पूजा गृह में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर राम परिवार की चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान राम और मां सीता की पूजा करें। मां सीता एवं राम जी को फल, फूल, धूप, दीप, सिंदूर,तिल, जौ, अक्षत आदि चीजें पूजा में अर्पित करें। पूजा के समय सीता चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि, धन एवं वंश में वृद्धि की कामना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।