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    Pradosh Vrat 2025 Date: किस दिन मनाया जाएगा प्रदोष व्रत? नोट करें मुहूर्त और योग

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:00 PM (IST)

    प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025 Date) का फल साधक को दिन अनुसार मिलता है। शुक्र प्रदोष व्रत करने से साधक को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। शुक्र के मजबूत होने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

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    Pradosh Vrat 2025 Date: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। यह पर्व दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए शिव-शक्ति के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।

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    धार्मिक मत है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। साथ ही जीवन में आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। इसके लिए ज्योतिष प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव जलाभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके लिए प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करें। आइए, प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    • त्रयोदशी तिथि की शुरुआत - 05 सितंबर को सुबह 04 बजकर 08 मिनट पर
    • त्रयोदशी तिथि की समापन - 06 सितंबर को देर रात 03 बजकर 12 मिनट पर

    प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)

    सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। हालांकि, प्रदोष व्रत के लिए संध्या बेला (प्रदोष काल) का मुहूर्त देखा जाता है। इसके लिए त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस प्रकार गणना से 05 सितंबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शोभन, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत पर शिववास योग का भी संयोग है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की मनचाही मुराद पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट पर
    • चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 16 मिनट तक
    • चंद्रास्त- सुबह 04 बजकर 15 मिनट तक
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 16 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट से 07 बजकर 01 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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