Shukra Dev Pujan: आज ही करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा सुख-सुविधाओं का आशीर्वाद
Shukra Stotra Ka Path शुक्रवार के दिन भगवान शुक्र की पूजा का विधान है। शुक्रदेव को भौतिक सुखों का स्वामी कहा जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह प्रबल होता है तो उसे जीवन में किसी भी सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है। ऐसे में अगर आप धन संपत्ति सुख सुविधाओं की कामना रखते हैं तो आपको शुक्रदेव को प्रसन्न करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Stotra Ka Path: शुक्रवार के दिन को ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना गया है। यह दिन शुक्र ग्रह का प्रतीक है, जिनकी पूजा से जीवन का हर एकऐशो-आराम बड़ी आसानी से मिल जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह प्रबल होता है तो उसे जीवन में किसी भी चीज के लिए भटकना नहीं पड़ता है। वहीं जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह नीच स्थान पर हो, तो उन्हें जीवन भर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप धन, संपत्ति, सुख, सुविधाओं की कामना रखते हैं, तो आपको शुक्रदेव को प्रसन्न करना चाहिए।
उनके साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही किसी भी शुक्रवार के दिन ''शुक्र स्तोत्र'' का पाठ करना भी बेहद लाभकारी माना गया है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -
यह भी पढ़ें: Sri Mahalakshmi Kavacham: लक्ष्मी वैभव व्रत पर जरूर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी हो जाएगी दूर
।।शुक्र स्तोत्र ।।- (Shukra Stotra Ka Path)
नमस्ते भार्गवश्रेष्ठ देव दानवपूजित।
वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमोनम: ।।
देवयानीपितस्तुभ्यंवेदवेदाडगपारग:।
परेण तपसा शुद्धशडकरोलोकशडकरम।।
प्राप्तोविद्यां जीवनख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।
नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्रायवेधसे।।
तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भासिताम्बर।
यस्योदये जगत्सर्वमङ्गलार्ह भवेदिह ।।
अस्तं यातेहरिष्टंस्यात्तस्मैमंगलरुपिणे।
त्रिपुरावासिनो देत्यान शिवबाणप्रपीडितान्।।
विद्या जीवयच्छुको नमस्ते भृगुनन्दन।
ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन।।
वलिराज्यप्रदोजीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।
भार्गवाय नम: तुभ्यं पूर्व गौर्वाणवन्दित।।
जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम:।
नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि।।
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने।
स्तवराजमिदं पुण्यं भार्गवस्य महात्मन:।।
य: पठेच्छ्रणुयाद्वापि लभतेवास्छितं फलम्।
पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभेत श्रियम् ।।
राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम्।
भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं समाहिते ।।
अन्यवारे तु होरायां पूजयेदभृगुनन्दनम्।
रोगार्तो मुच्यते रोगाद्रयार्तो मुच्यते भयात् ।।
यद्यात्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा।
प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ।।
सर्वपापविनिर्मुक्त प्राप्नुयाच्छिवसन्निधौ ।।
शुक्र गायत्री मंत्र
ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात् ।।
शुक्र तांत्रिक मंत्र
ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहाशुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र ||
शुक्र पौराणिक मंत्र
ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
यह भी पढ़ें: Shukrawar ke Upay: 2024 के पहले शुक्रवार पर करें ये उपाय, सालभर नहीं होगी धन की कमी
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।