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Shrimad Bhagwat Gita: रोजाना गीता के पाठ से मिलते हैं अद्भुत लाभ, जान लें सही नियम

Bhagwat Gita Niyam महाभारत की युद्ध भूमि में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने और उसकी जीत को सुनिश्चित किया। अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। आज केवल देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोग गीता का पाठ करते हैं। ऐसे में यदि आपके घर में गीता रखी हुई है तो ऐसे में आपको कुछ खास नियमों का ध्यान रखना चाहिए।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Thu, 25 Jan 2024 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2024 11:36 AM (IST)
Bhagwat Gita Niyam जानें श्रीमद्भागवत गीता पाठ के नियम और लाभ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhagwat Gita Updesh: भगवद गीता न केवल एक हिंदू धर्म ग्रंथ है, बल्कि यह मनुष्य को जीवन के दुखों से उबरने का भी संदेश देती है। गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध की भूमि में दिया गया था। इस ज्ञान के जरिए ही अर्जुन सही और गलत के बीच का अंतर कर पाया और अंततः युद्ध में विजय प्राप्त की। गीता में जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे - धर्म, कर्म, नीति आदि राज छिपा है। इसके नियमित पाठ से जीवन की हर समस्या को हल किया जा सकता है।

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गीता पाठ करने के लाभ (Geeta Benefits)

धार्मिक पुराणों में माना गया है कि जिस घर में नियमित रूप से गीता का पाठ किया जाता है, वहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव तो होता ही है, साथ ही जीवन की कई परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होने लगती है। गीता के रोजाना पाठन से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।

गीता पाठ के नियम

श्रीमद्भागवत गीता का पाठ  हमेशा स्नान आदि से निवृत होकर, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही करना चाहिए। इसके बाद एक आसन पर बैठ जाएं और लकड़ी से बनी पूजा चौकी या काठ पर रखकर गीता का पाठ करें। ध्यान रखें कि कभी भी जमीन पर या हाथ में रखकर गीता का पाठ नहीं करना चाहिए।

इसके साथ ही गीता को हमेशा लाल कपड़े में लपेटकर रखें और पाठ के दौरान ही खोलें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवत गीता का अध्याय बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए, पूरा अध्याय पढ़ने के बाद ही गीता को बंद करें।

ध्यान रखें ये नियम

गीता को घर में रखने और इसका पाठ करने से जुड़े कुछ नियमों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। जिस भी स्थान पर आप गीता रख रहे हैं वह स्थान एकदम साफ होना चाहिए। गंदे हाथों से, बिना नहाएं या मासिक धर्म में गीता को स्पर्श नहीं करना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, बस आपको अपनी स्वच्छता और शुद्धता का ख्याल रखना होगा।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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