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    किस श्राप की वजह से भगवान राम को जाना पड़ा था वनवास? जानिए इसके पीछे की कहानी

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 04:50 PM (IST)

    भगवान राम के 14 साल के वनवास के पीछे देवी कैकेयी के वरदान के अलावा राजा दशरथ को मिला श्राप भी एक प्रमुख कारण था। दशरथ ने अनजाने में श्रवण कुमार को मार दिया था, जिसके बाद उनके माता-पिता ने दशरथ को पुत्र वियोग में मरने का श्राप दिया। आइए इसके पीछे की संपूर्ण कथा (Shri Ram Vanvash Katha) यहां पढ़ते हैं।

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    Shri Ram Vanvash Katha: भगवान राम के वनवास जाने की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान राम के 14 साल के वनवास को केवल देवी कैकेयी के वरदान का परिणाम नहीं माना जाता है, बल्कि इसके पीछे कई कारण और पूर्व जन्मों के कर्म बताए गए हैं। इन कारणों में से एक प्रमुख कारण राजा दशरथ को मिला श्राप भी था। आइए जानते हैं कि उस श्राप की पूरी कहानी, जिसने भगवान राम को वनवास (Shri Ram Vanvash Katha) जाने के लिए मजबूर किया।

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    ram ji vanvash katha

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    श्रवण कुमार के माता-पिता का श्राप

    श्रीमद्भागवतम् के अनुसार, एक बार राजा दशरथ शिकार खेलने जंगल गए थे। उन्हें शब्दभेदी बाण चलाने का ज्ञान था, यानी वह केवल आवाज सुनकर ही निशाना लगा सकते थे। एक बार, उन्होंने नदी के किनारे से पानी भरने की आवाज सुनी। उन्होंने समझा कि कोई जंगली जानवर पानी पी रहा है और बिना देखे ही उस दिशा में शब्दभेदी बाण चला दिया।

    दशरथ का बाण जाकर श्रवण कुमार को लगा, जो अपने अंधे और बूढ़े माता-पिता के लिए नदी से पानी लेने आए थे। जब तक दशरथ जी ने श्रवण कुमार के पास जाकर अपनी गलती स्वीकारी, तब तक श्रवण कुमार की मृत्यु हो चुकी थी। अपने इकलौते बेटे की मृत्यु से दुखी श्रवण कुमार के माता-पिता ने दशरथ जी को श्राप देते हुए कहा कि

    "जिस तरह हम पुत्र वियोग में तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग रहे हैं, उसी तरह तुम्हें भी तुम्हारे प्रिय पुत्र के वियोग में ही अपनी अंतिम सांसें लेनी पड़ेंगी।"

    श्राप और वनवास का संबंध

    श्राप के अनुसार, राजा दशरथ की मृत्यु तभी हो सकती थी, जब वे पुत्र वियोग झेल रहे हों। देवी कैकेयी ने जब प्रभु श्रीराम के लिए 14 साल का वनवास मांगा, तो राम जी को अयोध्या छोड़ना पड़ा। इसी पुत्र वियोग के कारण राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार, कैकेयी के वरदान के साथ-साथ श्रवण कुमार के माता पिता के श्राप को भी भगवान राम के वनवास की वजह माना जाता है। वहीं, यह घटना ये भी दिखाती है कि कर्मों का फल भगवान को भी भोगना पड़ता है, भले ही वे लीला के माध्यम से क्यों न हो।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।