Janmashtami 2025: जन्माष्टमी के दिन ऐसे करें मुरली मनोहर की आरती, कटेंगे सभी कष्ट
जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami 2025) भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है जो इस साल 15 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त विधिपूर्वक पूजा करते हैं जिसमें आरती का विशेष महत्व है। आरती भक्ति की भावना को बढ़ाती है तो चलिए कान्हा की कृपा पाने के लिए उनकी भावपूर्ण आरती करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 15 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन (Janmashtami 2025) साधक पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है आरती। आरती करना न केवल पूजा को पूर्ण करता है, बल्कि यह भक्तों के मन में प्रेम, श्रद्धा और भक्ति के भाव को भी बढ़ाता है, तो आइए यहां कान्हा की भाव के साथ भव्य आरती करते हैं, जो इस प्रकार है।
॥श्रीकृष्ण जी की आरती॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्री बनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥आरती श्री राधा रानी जी की ॥
आरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की
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