Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shravan Purnima 2019: रक्षाबंधन के दिन होता है श्रवण पूजा और ऋषि तर्पण, जानें महत्व

    By kartikey.tiwariEdited By:
    Updated: Wed, 14 Aug 2019 01:36 PM (IST)

    Shravan Purnima 2019 श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन ऋषि तर्पण और श्रवण पूजा का भी विधान है।

    Shravan Purnima 2019: रक्षाबंधन के दिन होता है श्रवण पूजा और ऋषि तर्पण, जानें महत्व

    Shravan Purnima 2019: श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन ऋषि तर्पण और श्रवण पूजा का भी विधान है। इस दिन सभी सनातनी लोग श्रवण कुमार का पूजन करते हैं। इसके अलावा कुशा निर्मित ऋषियों की स्थापना करके उनका पूजन, तर्पण और विसर्जन करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र बता रहे हैं कि श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण पूजा और ऋषि तर्पण का क्या महत्व है और इसे क्यों किया जाता है।

    ऋषि तर्पण (उपाकर्म पद्धति आदि)

    श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ऋग, यजु, साम वेद के स्वाध्यायी ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य, जो ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, किसी आश्रम के हों, अपने-अपने वेद कार्य और क्रिया के अनुकूल काल में इस कर्म को संपन्न करते हैं। सामान्य तौर पर वे उस दिन नदी आदि के तटवर्ती स्थान में जाकर यथा विधि स्नान करते हैं। कुशा निर्मित ऋषियों की स्थापना करके उनका पूजन, तर्पण और विसर्जन करते हैं। इसके बाद रक्षा पोटलिका बनाकर उसका मार्जन करते हैं।

    इसके बाद आगामी वर्ष का अध्ययन क्रम नियत करके सायं काल के समय व्रत की पूर्ति करते हैं। इस में उपाकर्म पद्धति आदि के अनुसार अनेक कार्य होते हैं। वे विद्वानों से जानकर यह कर्म प्रतिवर्ष सोपवीती प्रत्येक द्विज को अवश्य करना चाहिए।

    श्रवण पूजन

    श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को नेत्रहीन माता पिता का एकमात्र पुत्र श्रवण कुमार एक बार रात्रि के समय जल लाने गए थे, वहीं कहीं हिरण की ताक में दशरथ जी छुपे थे। उन्होंने घड़े के शब्द को पशु का शब्द समझकर बाण छोड़ दिया, जिससे श्रवण की मृत्यु हो गई।

    Raksha Bandhan 2019: राखी के दिन होता है श्रावणी उपाकर्म, इस दिन बन रहा है सौभाग्य एवं पंचांग योग

    यह सुनकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हुए। तब दशरथ जी ने अज्ञान वश किए हुए अपराध की क्षमा याचना की। उन्होंने श्रवण के माता-पिता को आश्वासन दिया कि वे श्रावणी को श्रवण पूजा का प्रचार प्रसार करेंगे। अपने वचन के पालन में उन्होंने श्रावणी को श्रवण पूजा का सर्वत्र प्रचार किया। उस दिन से संपूर्ण सनातनी श्रवण पूजा करते हैं और उक्त रक्षा सूत्र सर्वप्रथम श्रवण को अर्पित करते हैं।