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    Shivling Puja Tips: शिवलिंग की पूजा के दौरान महिलाएं इन चीजों का रखें ध्यान, जानें सही नियम

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Tue, 23 Jan 2024 03:49 PM (IST)

    Shivling Puja Tips सोमवार का दिन भगवान शंकर (Lord Shiva) की पूजा के लिए समर्पित है। अगर इस दिन भोलेनाथ की सच्ची भक्ति के साथ पूजा-अर्चना की जाए तो वे मनचाही इच्छाएं पूर्ण करते हैं। वैसे आज हम शिवलिंग की पूजा महिलाओं को किस मुद्रा (shivling Puja Rules) में करनी चाहिए उसके बारे में बात करेंगे जो इस प्रकार है।

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    Shivling Puja Tips: शिवलिंग की पूजा ऐसे करें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivling Puja Tips: सनातन धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है, शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन भगवान शिव के शिवलिंग रूप की पूजा को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए। तो आइए जानते हैं -

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    नंदी मुद्रा में करें महिलाएं शिवलिंग की पूजा

    अक्सर लोग शिवलिंग को पूजा के दौरान स्पर्श करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शिवलिंग को पुरुष तत्व बताया गया है। ऐसे में उसका स्पर्श महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है। हालांकि जो महिलाएं अपनी श्रद्धा के चलते शिवलिंग को छूना चाहती हैं, उन्हें उसे नंदी मुद्रा में ही छूना चाहिए।

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    नंदी मुद्रा क्या होती है ?

    ज्योतिष शास्त्र में नंदी मुद्रा उसे कहते हैं, जिसमें नंदी जी की तरह बैठा जाता है। इस मुद्रा में पहली और आखिरी उंगली को सीधा रखा जाता है, वहीं बीच की दो उंगलियों को अंगूठे के साथ जोड़ा जाता है। इस मुद्रा में भगवान शंकर की पूजा करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं।

    साथ ही जीवन की सारी बाधाओं को समाप्त करते हैं। इस अवस्था में मांगी गई हर मुराद शिव जी की कृपा से पूर्ण हो जाती है। इसलिए महिलाओं को इसी मुद्रा में पूजा करना चाहिए।

    हर मुश्किलों से मिलेगा छुटकारा, करें शिव जी के इन मंत्रों का जाप

    भगवान शंकर की नामावली

    श्री शिवाय नम:।।

    श्री शंकराय नम:।।

    श्री महेश्वराय नम:।।

    श्री सांबसदाशिवाय नम:।।

    श्री रुद्राय नम:।।

    ओम पार्वतीपतये नम:।।

    ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।

    शिव जी का गायत्री मंत्र

    ।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।

    भगवान शंकर का महामृत्युंजय मंत्र

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।

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