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    Shivling: भगवान शिव के ही स्वरूप हैं शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग, पर क्या आप जानते हैं इनके बीच का अंतर?

    सनातन धर्म में शिवलिंग को भगवान शिव का ही स्वरूप के तौर पर पूजा जाता है। हिंदू शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसी प्रकार ज्योतिर्लिंग का संबंध भी भगवान शिव से ही माना गया है। शिवभक्तों द्वारा दोनों को ही विशेष माना जाता है और पूरे विधि विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 17 May 2024 02:03 PM (IST)
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    12 Jyotirling शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivling Puja: शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं, ज्योतिर्लिंग की आराधना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। कई लोग ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों में काफी अंतर पाया जाता है।

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    ज्योतिर्लिंग का अर्थ

    मुख्य रूप से देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। शिव पुराण के अनुसार, जहां-जहां भी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, वहां भगवान शिव स्वयं एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। इस प्रकार ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का स्वरूप है जो 'स्वयंभू' अर्थात स्वयं घटित होने वाला है।

    ये 12 ज्योतिर्लिंग 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए इन 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में इस 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, वह शिव जी की विशेष कृपा का पात्र बन सकता है। 12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं -

    1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात
    2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्र प्रदेश
    3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
    4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
    5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड
    6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
    7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश
    8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
    9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखंड
    10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात
    11. रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु
    12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

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    शिवलिंग का अर्थ

    शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया है - अनंत, अर्थात जिसकी न तो कोई शुरुआत हो और न ही कोई अंत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप है। वहीं, 'लिंग' का अर्थ होता है प्रतीक। इस प्रकार शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग, शिव जी के प्रतीक के रूप में मनुष्य द्वारा निर्मित किए जाते हैं और पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों स्थापित किए जाते हैं।

    कई शिवलिंग ऐसे भी हैं, जिन्हें स्वयंभू' माना गया है। कुछ भक्त शिवलिंग का छोटा स्वरूप अपने घर के मंदिर में भी रखते हैं और नियमित रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। शिवलिंग की पूजा के दौरान शिव जी को दूध, दही, फूल-फल आदि भी अर्पित किए जाते हैं।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।