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    शिव मंदिर बैजनाथ में मक्खन बनाने का कार्य शुरू

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    Updated: Mon, 13 Jan 2014 01:51 PM (IST)

    बैजनाथ एतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में भगवान शिव की पिंडी पर मकर संक्रांति के दिन बनने वाले घृत मंडल पर्व के लिए मक्खन बनाने का कार्य रविवार से शुरू हो गया। मंगलवार से पिंडी पर बनने वाले इस घृत मंडल के लिए तीन क्विंटल देसी घी से मक्खन तैयार किया जाएगा। इसके लिए कांगड़ा से आए पुजारियों तथा स्थानीय धमेंद्र, प्रभात,

    बैजनाथ। बैजनाथ एतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में भगवान शिव की पिंडी पर मकर संक्रांति के दिन बनने वाले घृत मंडल पर्व के लिए मक्खन बनाने का कार्य रविवार से शुरू हो गया। मंगलवार से पिंडी पर बनने वाले इस घृत मंडल के लिए तीन क्विंटल देसी घी से मक्खन तैयार किया जाएगा। इसके लिए कांगड़ा से आए पुजारियों तथा स्थानीय धमेंद्र, प्रभात, उमा शंकर आदि पुजारी 108 बार देसी घी को ठंडे पानी से धोकर यह शुद्व रूप से मक्खन तैयार करेंगे।

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    घृत मंडल को मेवों तथा फूलों से सजाया जाएगा। शिव मंदिर न्यास के ट्रस्टी सुरेश फुगंरी ने बताया कि इस पर्व को सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। पर्व के दौरान मंदिर के गर्भगृह को भी फूलों से सजाया जाएगा। गौर हो कि शिव मंदिर बैजनाथ में घृत मंडल पर्व के आयोजित करने की परंपरा सदियों पुरानी है। भगवान शिव की पिंडी पर मकर सक्रांति के दिन घृत मंडल का निर्माण क्यों किया जाता है। इसकी तथ्यों सहित वास्तविकता से हर कोई अनभिज्ञ है। हालांकि किंवदंतियों के अनुसार लोग इसके प्रति कई तरह के तर्क देते हैं। सात दिन तक चलने वाले घृत मंडल को आठवें दिन उतार दिया जाएगा।

    देसी घी बन जाता है दवा-

    देसी घी को 108 बार ठंडे पानी से धोने से यह दवा का रूप धारण कर लेता है और सात दिन तक भगवान शिव की पिंडी पर रहने से इसका प्रभाव और भी गुणकारी हो जाता है। इसे शरीर के चर्म रोगों से निजात दिलाने के लिए उपयोगी माना जाता है।आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि घी को 108 बार ठंडे पानी धोने से यह दवा का रूप धारण कर लेता है।

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