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    मृत्यु के बाद शिव भक्त किस द्वार से करते हैं यमलोक में प्रवेश? गरुड़ पुराण में छिपा है पूरा सच

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:16 PM (IST)

    देवों के देव महादेव की महिमा अपरंपार है। अपने भक्तों पर भगवान शिव विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है। शिव भक्तों का यमलोक (Garuda Purana Yamlok secrets) में भव्य स्वागत किया जाता है।

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    Yamlok: यम के देवता धर्मराज को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। इस ग्रंथ में जन्म-मृत्यु और मोक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। व्यक्ति को अपने जीवन काल में किए गए कर्मों के अनुसार फल मिलता है। अच्छे कर्म करने वाले लोगों को पुण्य के हिसाब से उच्च लोक में स्थान मिलता है।

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    वहीं, बुरे कर्म करने वालों को न केवल दंड दिया जाता है, बल्कि उसे नरक का दुख भी भोगना पड़ता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव के भक्तों को मृत्यु के बाद यमलोक में किस द्वार (Garuda Purana Yamlok secrets) से प्रवेश मिलता है? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

    गरुड़ पुराण

    तृतीयः पश्चिमो मार्गो रत्नमन्दिरमंडितः । सुधारस्सदापूर्णदीर्घिकाभिर्विराजितः॥ ॥

    ऐरावत्कुलोद्भूतमत्तमात्ङ्गसंकुलः ।। उच्चैःश्रवसमुत्पन्नह्यरत्नसमन्वितः ॥

    एतेनात्मपरा यान्ति सच्चस्त्रपरिचिन्तकाः। अनन्यविष्णुभक्ताश्च गायत्रीमंत्रजापकाः ॥

    परहिंसापरद्रव्यपरवादपरामुखाः ।। स्वदार्निरताः सन्तः साग्निका वेदपाठकाः ॥

    ब्रह्मचर्यव्रतधरा वानप्रस्थास्तपस्विनः। श्रीपादसंन्यास्पराः समलोष्टाश्मकञ्चनाः ॥

    ज्ञानवैराग्यसम्पन्नः सर्वभूतहिते रताः। शिवविष्णुव्रतकरः कर्मब्रह्मसमर्पकाः ॥

    ऋणैस्त्रिभिर्विनिर्मुक्तः पंचयज्ञरतः सदा। पिताॄनां श्राद्धदातारः काले सयममुपासकाः ॥

    नीचसङ्गविनिर्मुक्ताः सत्सङ्गतिपरायणाः। एतेऽप्सरोगनैर्युक्ता विमानवरसंस्थिताः ॥

    सुधापानं प्रकुर्वन्तो यान्ति ते धर्ममन्दिरम्। विशन्ति पश्चिमद्वारे यान्ति धर्मसभान्तरे ॥

    यमस्तानागतां दृष्ट्वा स्वागतं वदते मुहुः। समुत्थानं च कुरुते तेषां गच्छति सम्मुखम् ॥

    भगवान नारायण गरुड़ पुराण के चौदहवें अध्याय में कहते हैं कि यमलोक में चार द्वार हैं। दक्षिण द्वार से पापीगण यमलोक में प्रवेश करते हैं। पापियों को तत्क्षण फैसला सुनाकर नरक लोक में भेज दिया जाता है। वहीं, मृत्यु के बाद शिव भक्तों को तीसरे यानी पश्चिम द्वार से यमलोक में प्रवेश मिलता है। उस समय विमान से शिव भक्त यमलोक पहुंचते हैं। जब मृत्यु के बाद शिव भक्त यमलोक पहुंचते हैं, तो स्वयं धर्मराज उनका स्वागत करते हैं। साथ ही उनके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।

    इस समय यमलोक में उपस्थित सभासद खड़े होकर शिव भक्त को प्रणाम करते हैं। वहीं, धर्मराज द्वारा उनकी पूजा भी की जाती है। शिव भक्तों की प्रसंशा कर धर्मराज आगे कहते हैं कि तुच्छ लोग पृथ्वी पर धन का संचय करते हैं, जो साथ नहीं आता है। इस दौरान वह पाप का भागी बनता है। वहीं, धर्म संचय करने वाले लोगों को न केवल पृथ्वी लोक पर बल्कि मृत्यु के बाद यमलोक में भी ऊंचा स्थान मिलता है। 

    शिव भक्तों को पुण्य कर्मों के अनुसार उच्च लोक में स्थान मिलता है। कई भक्तों को धर्मराज की सभा में न्याय करने का अधिकार दिया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो उन्हें सभा में ऊंचा स्थान दिया जाता है। साथ ही विशेष अवसरों पर उनकी राय भी ली जाती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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