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    Shiv Pujan: भगवान शंकर की पूजा से बनेंगे सभी बिगड़े काम, सोमवार को करें यह एक काम

    Updated: Mon, 23 Sep 2024 06:30 AM (IST)

    सोमवार का दिन शिव पूजन के लिए खास माना जाता है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए सुबह उठकर देवों के देव महादेव का ध्यान करें। इसके बाद उनका गंगाजल से अभिषेक करें। फिर शिव जी की स्तुति का पाठ गा-गाकर एक लय में करें। ऐसा करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

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    Shiv Pujan: भगवान शंकर की पूजा ऐसे करें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार का दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए बहुत विशेष होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद भगवान शंकर का ध्यान करें। फिर शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।

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    इसके पश्चात शिव जी की स्तुति (Shiv Stuti) का पाठ गा-गाकर एक लय में करें। ऐसा करने से शिव परिवार की कृपा प्राप्ति होगी। अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

    ।।शिव स्तुति मंत्र।।

    पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

    जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

    महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

    विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।

    गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

    भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।

    शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

    त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।

    परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

    यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।

    न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

    न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।

    अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

    तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।

    नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

    नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।

    प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

    शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।

    शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

    काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।

    त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

    त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।

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