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    Shiv Pujan: सोमवार के दिन देवों के देव महादेव को ऐसे करें खुश, मिलेगा मनचाहा वर

    Updated: Sun, 26 May 2024 04:29 PM (IST)

    सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा (Shiv Ji Pujan) के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की आराधना करने से जीवन की सारी बाधाओं का अंत होता है। साथ ही घर में बरकत आती है। अगर आप देवों के देव महादेव की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको सोमवार के दिन का व्रत करना चाहिए।

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    Shiv Pujan: शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ ऐसे करें -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Pujan: हिंदू धर्म में सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की आराधना करने से जीवन की सारी बाधाओं का अंत होता है। साथ ही घर में बरकत आती है।

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    अगर आप देवों के देव महादेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो आपको सोमवार के दिन का व्रत करना चाहिए। इसके साथ ही शिव जी के पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जो इस प्रकार है -

    ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

    भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

    तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥

    मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

    नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

    मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

    तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥

    शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

    सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

    तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥

    वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

    मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

    चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

    तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥

    यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

    पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

    दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

    तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

    ॥शिव आरती॥

    जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

    जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अजर अमर अज अरूप,सत चित आनन्दरूप।

    व्यापक ब्रह्मस्वरूप,भव! भव-भय-हारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    शोभित बिधुबाल भाल,सुरसरिमय जटाजाल।

    तीन नयन अति विशाल,मदन-दहन-कारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    भक्तहेतु धरत शूल,करत कठिन शूल फूल।

    हियकी सब हरत हूलअचल शान्तिकारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अमल अरुण चरण कमलसफल करत काम सकल।

    भक्ति-मुक्ति देत विमल,माया-भ्रम-टारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    कार्तिकेययुत गणेश,हिमतनया सह महेश।

    राजत कैलास-देश,अकल कलाधारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    भूषण तन भूति ब्याल,मुण्डमाल कर कपाल।

    सिंह-चर्म हस्ति खाल,डमरू कर धारी॥

    जयति जयति जग-निवास...

    अशरण जन नित्य शरण,आशुतोष आर्तिहरण।

    सब बिधि कल्याण-करणजय जय त्रिपुरारी॥

    जयति जयति जग-निवास..

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