Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Lord Shiv: भगवान शिव ने नंदी को दिया था यह विशेष वरदान, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

    Updated: Wed, 03 Jul 2024 01:52 PM (IST)

    सावन (Sawan 2024) में श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर प्रभु के दर्शन करते हैं और कई लोग भगवान शिव के सामने विराजमान नंदी के द्वारा अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दरअसल नंदी महादेव के वाहन हैं उन्हें भगवान भोलेनाथ का द्वारपाल भी कहा जाता है।

    Hero Image
    Lord Shiv: भगवान शिव ने नंदी को दिया था यह विशेष वरदान, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Ke Vahan Nandi: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय है। महादेव के आशीर्वाद पाने के लिए सावन में पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। साथ ही मनचाहा वर की प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत करना चाहिए। इस महीने में शिव भक्तों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है और शिव मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: इस मंदिर में देव दर्शन से होती है मोक्ष की प्राप्ति, भगवान राम से जुड़ा है कनेक्शन

    मिला है ये वरदान

    पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया था कि सर्वप्रथम उनकी उपासना की जाएगी। इसी वजह से शिव मंदिर में महादेव की मूर्ति के सामने नंदी विराजमान होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से नंदी के कान में मनोकामनाएं बोलने से सभी मुरादें पूरी होती हैं। साधक की अर्जी नंदी बाबा महादेव तक पहुंचा देते हैं, जिससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    नंदी महाराज के कान में जरूर कहें ये शब्द

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, नंदी बाबा की पूजा के दौरान उनके कान में अपनी मनोकामनाएं बोलने से पहले 'ॐ' शब्द जरूर बोलना चाहिए और इसके बाद अपनी कामना कहनी चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि 'ॐ' का दूसरा नाम प्रणव अर्थात परमेश्वर है और कई ग्रंथों वर्णन है कि 'ॐ' ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों के प्रतीक हैं। इसी वजह से किसी भी वैदिक मंत्र के प्रारंभ में 'ॐ' का जप किया जाता है।

    नंदी मुद्रा क्या होती है ?

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नंदी मुद्रा उसे कहते हैं, जिसमें नंदी जी की तरह बैठा जाता है। इस मुद्रा में पहली और आखिरी उंगली को सीधा रखा जाता है, वहीं बीच की दो उंगलियों को अंगूठे के साथ जोड़ा जाता है। इस मुद्रा में भगवान शंकर की पूजा करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं।

    यह भी पढ़ें: इस मंदिर में लेटी हुई मुद्रा में मिलते हैं भगवान बुद्ध, हजारों वर्ष पुराना है इसका इतिहास

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।