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    Shatnamavali Stotra: बेहद प्रिय है भगवान कृष्ण को यह स्तोत्र, जरूर करें इसका पाठ

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 04 Feb 2024 09:03 AM (IST)

    Shatnamavali Stotra Ka Path ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन खुशियों से भर जाता है। साथ ही सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। ऐसे में अगर आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको सुबह उठकर स्नान करने के बाद उनके लडड् गोपाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। और उनके श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

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    Shatnamavali Stotra: बेहद प्रिय है भगवान कृष्ण को यह स्तोत्र,

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Shatnamavali Stotra Ka Path: सनातन धर्म में कृष्ण पूजा का बेहद महत्व है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन खुशियों से भर जाता है। साथ ही सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। ऐसे में अगर आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको सुबह उठकर स्नान करने के बाद उनके लडड् गोपाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।

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    और उनके श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। अंत में आरती से पूजा समाप्त करते हुए भगवान का आशीर्वाद लें।

    ''श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र''

    श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

    वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

    श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !

    चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

    देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !

    यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

    पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !

    नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

    नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !

    नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

    षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !

    शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः॥

    वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !

    तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

    उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !

    गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः॥

    इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः

    वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

    गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !

    अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः॥

    मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !

    वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

    स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !

    कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

    मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !

    संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

    अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !

    शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

    विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !

    सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

    सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !

    जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

    वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !

    युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

    पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !

    कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

    दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः

    नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

    जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !

    पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

    सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !

    एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

    कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,

    अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

    श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

    वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

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