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    Shardiya Navratri 2024 Day 8: नवरात्र के आठवें दिन पूजा के दौरान करें मां महागौरी की आरती, घर में आएगी सुख-समृद्धि

    Updated: Thu, 10 Oct 2024 07:57 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024 Day 8 Aarti) के आठवें दिन देवी गौरी की पूजा होती है जो देवी दुर्गा का सबसे शांत स्वरूप हैं। माता अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं। साथ ही जीवन में शुभता लाती हैं। यदि आप माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको उनकी भाव आरती का आयोजन करना चाहिए।

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    Shardiya Navratri 2024 Day 8: मां महागौरी की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। देवी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर देवी गौरी की पूजा (Shardiya Navratri 2024 Day 8) करने से जीवन में खुशहाली आती है। इसके साथ ही सभी मुरादें पूर्ण होती हैं। अगर आप अपने जीवन के सभी दुखों को दूर करना चाहते हैं, तो आपको मां गौरी की आराधना करनी चाहिए। साथ ही कपूर से उनकी भव्य आरती करनी चाहिए। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा।

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    मां गौरी भोग

    ऐसा कहा जाता है कि गौरी माता को नारियल व उससे बनी मिठाइयों, पूरी, हलवा, और काले चने का भोग लगाना चाहिए। इससे उनकी पूरी कृपा प्राप्त की जा सकती।

    ।।मां गौरी की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।

    बोलो अंबे माता की जय!!

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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