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    Shardiya Navratri 2024 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा थाली में शामिल करें ये प्रिय भोग, कभी नहीं होगी धन की कमी

    Updated: Tue, 08 Oct 2024 10:33 AM (IST)

    सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा को भोग (Maa katyayani Ke Bhog) अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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    Shardiya Navratri 2024: मां कात्यायनी के प्रिय भोग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल दो नवरात्र मनाए जाते हैं। एक चैत्र माह में और दूसरा आश्विन माह में। आश्विन माह में पड़ने वाले नवरात्र को शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस उत्सव के दौरान अलग-अलग दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान किया जाता है। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024 Day 6) का छठा दिन आज यानी 08 अक्टूबर को है। इस दिन शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा का छठे स्वरूप मां कात्यायनी (Today Navratri Devi) की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। माना जाता है कि मां कात्यायनी के प्रसन्न होने से साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं मां कात्यायनी को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए?

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    इन चीजों का लगाएं भोग

    सनातन शास्त्रों के अनुसार, मां कात्यायनी लाल रंग प्रिय है। मां को लाल रंग की चीजें अर्पित करने से जीवन के दुख और दर्द दूर होते हैं। छठे दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और हलवे का भोग लगाएं। साथ ही आप फल और मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से जातक के वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और उसे जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

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    मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त

    अगर आप किसी वजह से सुबह मां कात्यायनी की पूजा नहीं कर पाए हैं, तो संध्याकाल में भी मां की उपासना कर सकते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-

    शुभ मुहूर्त

    ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से 02 बजकर 52 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 59 मिनट से 06 बजकर 23 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।