Shardiya Navratri 2024 Day 5: शाम को इस मुहूर्त में भी कर सकते हैं देवी स्कंदमाता की पूजा, लगाएं ये भोग
शारदीय नवरात्र का पांचवा दिन (Fifth Day of Navratri) देवी स्कंदमाता को समर्पित है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनकी दाहिनी ओर की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। बाईं ओर की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में कमल हैं। आइए जानते हैं देवी स्कंदमाता से संबंधित महत्वपूर्ण बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह में शारदीय नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 07 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Shardiya Navratri 2024 Day 5) है। इस तिथि पर देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही संतान-सुख की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से संतान से जुड़ी समस्या दूर होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप भी देवी स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त में स्कंदमाता की विधिपूर्वक उपासना करें और प्रिय चीजों का भोग लगाएं। मान्यता है कि प्रिय भोग अर्पित करने से जीवन के दुख-दर्द दूर होते हैं। आइए जानते हैं देवी स्कंदमाता को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए?
देवी स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह (Devi SkandamataShubh Muhurat) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 07 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 48 मिनट से शुरू हुई है। वहीं, इसका समापन 08 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट पर होगी।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 52 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजे से 06 बजकर 24 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
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देवी स्कंदमाता को लगाएं इन चीजों का भोग
मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में मां के भोग में पीले रंग की चीजों को शामिल करें। भोग थाली में केले, पीली मिठाई, पीला तरबूज समेत आदि चीजों को शामिल करना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों को अर्पित करने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है।
मां स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
मां स्कंदमाता स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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