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    Shardiya Navratri 2024 4th Day: कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप? जानिए इससे जुड़ी पौराणिक व्रत कथा

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 05:54 PM (IST)

    नवरात्र के चौथे दिन (Shardiya Navratri 2024 Day 4) मां कुष्मांडा की पूजा होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार 6 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन (Shardiya Navratri 2024) मां कुष्मांडा की आराधना करने से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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    Shardiya Navratri 2024 4th Day: ऐसा है मां दुर्गा का चौथा स्वरूप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र को बेहद शुभ माना जाता है, जो नौ दिनों और रातों तक चलता है। नवरात्र का चौथा दिन (Shardiya Navratri 2024 4th Day) देवी कुष्मांडा को समर्पित है। वह मां दुर्गा के नौ अवतारों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने सिद्धिदात्री का रूप धारण करने के बाद ऊर्जा और प्रकाश को संतुलित करने के लिए इस रूप को धारण किया था, जो साधक माता रानी के इस अवतार की पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य जैसे तेज की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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    ऐसा है मां दुर्गा का चौथा स्वरूप

    पौराणिक कथाओं (Shardiya Navratri Day 4 Vrat Katha) के अनुसार, जब त्रिदेव ने सृष्टि की रचना करने के बारे में विचार किया, तो उस समय समस्त ब्रह्मांड में घोर अंधेरा छाया हुआ था। पूरा ब्रह्मांड स्तब्ध था। जहां चारों तरफ कोई न कोई ध्वनि थी और न ही राग। तब त्रिदेव ने देवी दुर्गा से सहायता ली। फिर माता दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने पूर्ण सृष्टि की रचना की। ऐसा कहा जाता है देवी ने अपनी मंद मुस्कान से समस्त ब्रह्मांड की रचना की थी। मां के मुख मंडल पर फैली मंद मुस्कान से समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान हो रहा था।

    ब्रह्मांड की रचना अपनी मुस्कान से करने के चलते देवी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) कहा गया है, जिनकी महिमा दूर-दूर तक फैली है। देवी कुष्मांडा सूर्य लोक में वास करती हैं। ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा के मुखमंडल पर उपस्थित तेज से सूर्य प्रकाशवान है। मां सूर्य लोक के अंदर और बाहर सभी जगहों पर निवास करती हैं।

    सूर्य समान कांतिमय तेज

    देवी के मुख पर तेजोमय आभा प्रकट से समस्त जगत का कल्याण हो रहा है। इन्होंने सूर्य समान कांतिमय तेज का आवरण कर रखा है। इस तेज को आवरण जगत जननी आदिशक्ति मां कुष्मांडा ही कर सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग माता रानी के इस स्वरूप का ध्यान करते हैं, उनके सभी कष्टों का अंत क्षण भर में हो जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।