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    Shardiya Navratri 2024 Day 3: पूजा के दौरान मां चंद्रघंटा की इस कथा का जरूर करें पाठ, आध्यात्मिक शक्ति होगी प्राप्त

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 10:04 AM (IST)

    शारदीय नवरात्र के पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है। साथ ही जीवन के दुख और दर्द को दूर करने के लिए विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है। तीसरा दिन मां चंद्रघंटा ( Maa Chandraghanta ki Katha) को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

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    Shardiya Navratri 2024: मां चंद्रघंटा की व्रत कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 11 अक्टूबर से हो चुकी है। इस उत्सव के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Shardiya Navratri 2024 Day 3) की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि घर में मां चंद्रघंटा के आगमन से सुख-शांति का संचार होता है। मां चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहा जाता है। सिंह पर सवार मां असुरों और दुष्टों को दूर करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को आध्यात्मिक एवं आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं मां चंद्रघंटा की कथा।

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    मां चंद्रघंटा की कथा (Maa Chandraghanta Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, दानवों के बढ़ते आतंक को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का रूप धारण किया था। महिषासुर राक्षस ने देवराज इंद्र का सिंहासन हड़प लिया था और वह स्वर्गलोक में अपना राज करना चाहता था। उसकी इस इच्छा को जानकर देवी-देवता चिंतित हो गए। इस समस्या में देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मदद मांगी। उनकी इस बात को सुनकर त्रिदेव क्रोधित हुए। इस क्रोध के चलते तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई उससे एक देवी का जन्म हुआ। देवों के देव महादेव ने त्रिशूल और विष्णु जी ने अपना चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवी-देवताओं ने भी माता को अपना-अपना अस्त्र सौंप दिए। वहीं, स्वर्ग नरेश इंद्र ने मां को अपना एक घंटा दिया। इसके पश्चात मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करने के लिए उनका सामना किया। महिषासुर को मां के इस रूप को देख अहसास हुआ कि इसका काल नजदीक है। महिषासुर ने माता रानी पर हमला बोल दिया। फिर मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया। इस प्रकार मां ने देवताओं की रक्षा की।

    इन मंत्रों का करें जाप

    या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।