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    Shardiya Navratri 2023: मां कालरात्रि भक्तों के दुखों को करेंगी परास्त, सप्तशती से लिए गए इन मंत्रों का करें जाप

    Shardiya Navratri 2023 नवरात्र के सातवें दिन देवी के विकराल रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन को सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि को गहरे रंग शक्तिशाली मुद्रा और निडर स्वभाव के रूप में दर्शाया गया है। मां का यह रूप अज्ञान अंधकार और सभी बुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक है।

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 21 Oct 2023 08:31 AM (IST)
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    Shardiya Navratri 2023

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shardiya Navratri 2023: नवरात्र का पर्व देवी भक्तों के लिए बेहद होता है। पर्व को लेकर हर किसी की अपनी एक मान्यता है। इस पर्व का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के अलग- अलग रूपों को समर्पित है। सातवें दिन, देवी के विकराल रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन को 'सप्तमी' के नाम से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि को गहरे रंग, शक्तिशाली मुद्रा और निडर स्वभाव के रूप में दर्शाया गया है।

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    मां का यह रूप अज्ञान, अंधकार और सभी बुरी शक्तियों के विनाश का प्रतीक है। इस दिन भक्त मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन मां काली के कुछ मंत्रों का जाप बेहद फलदायी माना गया है, जो इस प्रकार हैं -

    मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के 10 चमत्कारी मंत्र

    1- ॐ कालरात्र्यै नम:।

    2- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

    3- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

    4- जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।

    जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥

    5- ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।

    एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

    6- या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    7- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

    लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

    वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

    वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

    8- क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

    9- ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।

    त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।

    10- ओम देवी कालरात्र्यै नमः।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'