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    Shardiya Navratri 2023: इतनी खास क्यों है नवरात्र की अष्टमी तिथि, जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों की विशेषता

    Durga Ashtami 2023 हिंदू धर्म में नवरात्र के समय को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा-पाठ और व्रत आदि करते हैं। क्या आप जानते हैं कि नवरात्र में अष्टमी तिथि का इतना महत्व क्यों हैं।

    By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 17 Oct 2023 02:37 PM (IST)
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    Sharad Navratri 2023 जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों की विशेषता।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sharad Navratri 2023: प्रत्येक वर्ष दो नवरात्र आते हैं। पहली नवरात्र चैत्र मास के नवरात्र, जिसे चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है। वहीं दूसरी नवरात्रि आश्विन मास में पड़ती है जिन्हें शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। साथ ही इसका समापन मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ दशमी तिथि को किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर, रविवार के दिन हो चुकी है।

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    इसलिए खास है अष्टमी तिथि

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी तिथि पर ही देवी दुर्गा अुसरों का संहार करने के लिए प्रगट हुई थीं। यही कारण है कि नवरात्र की अष्टमी बहुत ही खास माना जाती है। नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के स्वरूप की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है।

    ये हैं मां दुर्गा के नौ रूप

    प्रथम दिन- मां शैलपुत्री

    नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है। मां शैलपुत्री नगाधिराज हिमालय की बेटी हैं जो शक्ति का आरंभिक रूप भी हैं। मां शैलपुत्री असल में धैर्य का अवतार मानी गई हैं और वह संसार में सामंजस्य का संदेश देती हैं।

    दूसरा दिन -  मां ब्रह्मचारिणी

    मां ब्रह्मचारिणी नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप है, इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। मां पार्वती ने शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी भी कहा जाता है।

    तीसरा दिन -  मां चंद्रघंटा

    नवदुर्गा का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा हैं जिनकी आराधना नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है। माता चंद्रघंटा के पास घंटी के आकार का आधा चंद्रमा है जिस कारण उन्हें देवी चंद्रघंटा कहकर पुकारा जाता है। इन्हें चंद्रखंडा, वृक्ष वाहिनी, और चंद्रिका भी कहा जाता है।

    चौथा दिन -  मां कुष्मांडा

    नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित माना गया है। माना जाता है कि जब पृथ्वी का नामोनिशान तक नहीं था, जब मां कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। वह सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं और यहां निवास करने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं के पास है।

    पांचवा दिन - मां स्कंदमाता

    मां स्कंदमाता की आराधना नवरात्र के पांचवे दिन की जाती है। उनकी निवास स्थान विशुद्ध चक्र में है। मां दुर्गा के इस रूप में कार्तिकेय जो युद्ध के देवता हैं, को उनकी गोद में दर्शाया गया है, यही कारण है कि कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है।

    छठवां दिन -  मां कात्यायनी

    मां दुर्गा का छठवां स्वरूप मां कात्यायनी हैं। नवरात्र के छठवें दिन इन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है। कात्यायनी, आदि शक्ति मां पार्वती का ही दूसरा नाम है। माता दुर्गा के इस स्वरूप को एक योद्धा रूप के रूप में दर्शाया गया है।

    सातवां दिन - मां कालरात्रि

    नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि की आराधना के लिए समर्पित है।  मां कालरात्रि, दुर्गा जी के सबसे उग्र रूपों में से एक है, उन्होंने असुरों के संहार के लिए धारण किया था। देवी कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चामुंडा, चंडी आदि नामों से भी जाना जाता है।

    आंठवा दिन -  मां महागौरी

    नवरात्र का आंठवे दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, कि इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात् सफेद है। साथ ही इन्होंने सफेद रंग के वस्त्र भी धारण किए हुए हैं। माना जाता है देवी महागौरी की पूजा मात्र से भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं और साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

    नौवां दिन  - मां सिद्धिदात्री

    मां दुर्गा का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री है। नवरात्र के आखिरी यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। जैसा की नाम से ही ज्ञात होता है, मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी प्रकार की सिद्धियों को पूरा करने वाली हैं।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'