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    Navratri 2022: इस कारण मां पार्वती ने लिया था छिन्नमस्ता अवतार, जानिए रोचक कथा

    By JagranEdited By: Shivani Singh
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 04:12 PM (IST)

    Navratri 2022 माता पार्वती को लेकर काफी कथाएं प्रचलित है। मां पार्वती के विभिन्न नामों में से एक छिन्नमस्ता भी है। जिन्हें 10 महाविद्याओं में से एक माना जाता है। जानिए आखिर किस कारण माता पार्वती ने लिया था छिन्नमस्ता अवतार।

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    Navratri 2022: इस कारण मां पार्वती ने लिया था छिन्नमस्ता अवतार, जानिए रोचक कथा

    नई दिल्ली, Navratri 2022: मां सती की दस महाविद्याओं में से एक मां छिन्नमस्ता को है जो छठी महाविद्या मानी जाती हैं। साल में पड़ने वाली दो गुप्त नवरात्र के दौरान छिन्नमस्ता की पूजा करना शुभ माना जाता है। मां छिन्नमस्ता का स्वरूप काफी भयानक माना जाता है। क्योंकि उन्होंने अपने इस स्वरूप में एक हाथ में किसी दूसरे का नहीं बल्कि खुद का ही कटा हुआ सिर पकड़ा हुआ है और उनकी गर्दन ने तीन धाराएं बहती हुई नजर आती है। माना जाता है कि मां छिन्नमस्तिका के इस स्वरूप की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और व्यक्ति अपार सफलता प्राप्त करता है। छिन्नमस्ता के बारे में आप काफी जानते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका ऐसा स्वरूप क्यों है। जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा।

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    क्यों मां पार्वती बनीं छिन्नमस्ता माता?

    शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि एक बार मां पार्वती भ्रमण करने के लिए अपनी दो सहचारियां जया और विजया के साथ निकली। भ्रमण करते हुए रास्ते में उन्होंने मंदाकिनी नदी में स्नान करने की इच्छा प्रकट की और अपनी दोनों ही सहचारियों से भी कहा कि वह भी साथ में ही स्नान कर लें। लेकिन उन दोनों ने कहा कि उन्हें भूख लगी है इसलिए वह स्नान नहीं करेगी पहले भोजन करेंगे।

    पार्वती मां ने उनकी बात सुनकर कहा कि थोड़ी देर आराम कर लो। तब तक मैं स्नान कर लूं। इसके बाद वह काफी लंबे समय तक स्नान करती रहीं। बीच में बार जय विजया ने उन्हें रोका कि मां भूख लगी है। लेकिन माता पार्वती स्नान में मंत्रमुग्ध होने के साथ संसार में करुणा बरसा रही थी। उन्होंने जया-विजया की बात को अनसुनी कर लिया।

    अंत में हारकर जया विजया ने कहा- माता तो अपने शिशु की रक्षा करने और उसका पेट भरने के लिए अपना रुधिर यानी रक्त तक पिला देती है। मां आप तो इस पूरे संसार की पालक हो और सबकी भूख शांत करती हैं। लेकिन हमारी भूख का आप कुछ नहीं कर रही हैं। उनकी इस बात को सुनकर मां पार्वती काफी क्रोधित हो जाती है और नदी से बाहर निकल आती है। इसके बाद अपने खड्ग का आह्वान करके अपने ही सिर को काट देती हैं। ऐसे में उनके धड़ से रक्त की तीन धाराएं निकलीं. जिसमें से दो धाराएं जया-विजया के मुंह में गई। तीसरी धारा स्वयं  मां पार्वती के मुख में आकर गिरी।

    जब मां पार्वती ने स्वयं का रक्त पी लिया तो वह और भी ज्यादा उग्र हो गईं। ऐसे में पूरे देवी-देवताओं के बीच त्राहि-त्राहि मच गई। हर किसी को इस बात का भय था कि अंबा फिर से काली का रूप लेकर पूरी सृष्टि के विनाश न कर दें।  इसके बाद फिर एक बार भगवान शिव से इस समस्या का समाधान निकाला। शिव जी ने कबंध  का रूप धारण किया और देवी के प्रचंड स्वरूप को शांत किया। तब से मां पार्वती का नाम छिन्नमस्ता पड़ गया।

    डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।