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    Sharda Puja Significance: दिवाली पर होने वाली शारदा पूजा का क्या है महत्व, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 03 Oct 2020 09:02 AM (IST)

    Sharda Puja Significance शारदा पूजा दिवाली के दिन की जाती है। इश दिन घर में गणेश जी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इनके साथ ही माता शारदा यानी सरस्वती की पूजा करने का भी विधान है। यह बेहद शुभ माना जाता है।

    दिवाली पर होने वाली शारदा पूजा का क्या है महत्व, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    Sharda Puja Significance: शारदा पूजा दिवाली के दिन की जाती है। इश दिन घर में गणेश जी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इनके साथ ही माता शारदा यानी सरस्वती की पूजा करने का भी विधान है। यह बेहद शुभ माना जाता है। शारदा मां को बुद्धि की देवी, ज्ञान और विद्या की देवी कहा जाता है। दिवाली पर मां शारदा की पूजा का महत्व बहुत ही विशेष है। खासतौर से विद्यार्थियों को इस दिन सरस्वती माता की पूजा जरूर करनी चाहिए। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से जानते हैं शारदा पूजा का महत्व

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    माता शारदा की पूजा व्यापार करने वाले वाले लोगों के लिए बेहद अहम होती है। गुजरात में इस दिन चोपड़ा यानी नए बहीखातों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ देवी सरस्वती की पूजा करने से धन और संपन्नता तो बढ़ती ही है। इसके अलावा ज्ञान में भी बढ़ोतरी होती है। गुजरात में शारदा पूजा न केवल दिवाली पूजा के नाम से प्रसिद्ध है बल्कि चोपड़ा पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है।

    मां शारदा की कथा:

    पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने ब्रह्मदेव को संसार की रचना का आदेश दिया था। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने सभी जीवों विशेषकर मनुष्य की रचना की। लेकिन ब्रह्मदेव को इससे भी संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई। ब्रह्मा जी को लगता था कि संसार में अभी भी कुछ कमी है क्योंकि हर तरफ ही मौन का वातावरण है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा पाकर अपने कमंडल में से जल लेकर छिड़काव किया। पृथ्वी पर जैसे ही ब्रह्मा जी के कमंडल का जल गिरा उसी समय धरती पर कंपन होने लगा। जिसके बाद वृक्षों से अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। यह शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी। जो वीणा और वर मुद्रा के साथ प्रकट हुई थीं। उनके अन्य हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाने के लिए कहा। जैसे ही उस देवी ने वीणा बजाई वैसे ही संसार के सभी प्राणियों को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल होने लगा। पवन से सरसराहट की आवाज आने लगी। उस समय ब्रह्मा जी ने उस देवी को सरस्वती नाम से संबोधित किया। माता सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे नामों से भी जाना जाता है। 

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