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    शरद पूर्णिमा की रात प्रसाद रखने का ये है वैज्ञान‍िक कारण, होंगे अनेक लाभ

    By Shweta MishraEdited By:
    Updated: Thu, 05 Oct 2017 10:42 AM (IST)

    अश्विन माह की पू्र्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस रात में चांद की रोशनी में प्रसाद रखा जाता है, जि‍से दूसरे द‍िन ग्रहण करने से वैज्ञान‍िक रूप से भी कई लाभ होते हैं...

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    शरद पूर्णिमा की रात प्रसाद रखने का ये है वैज्ञान‍िक कारण, होंगे अनेक लाभ

    प्रसाद रखने से होंगे ये लाभ

    अश्विन माह में पड़ने वाली पू्र्णिमा को शरद पूर्णि‍मा होती है। इसे कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। हिंदू धर्म में माना जाता है क‍ि जाता है क‍ि इस रात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था, ज‍िससे चंद्र देव इस रात अपनी पूरी सोलह कलाओं के प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान चंद्रमा की क‍िरणों से इस रात को अमृत की वर्षा होती है। इसल‍िए इस रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखी जाती है। शरद पूर्णि‍मा की रात को खीर को मुख्‍य प्रसाद माना जाता है। अगर खीर संभव नहीं है तो कोई और म‍िष्‍ठान भी प्रसाद स्‍वरूप रख सकते हैं, ज‍िसे दूसरे दि‍न प्रात:काल ग्रहण करने से कई लाभ होते हैं। रोग दूर होने के साथ जीवन से परेशान‍ियां दूर होती हैं। घर में खुश‍ियों का आगमन होता है और धन-धान्‍य से भंडार भरते हैं।   

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    प्रसाद रखने का वैज्ञान‍िक कारण 

    वहीं शरद पू्र्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे प्रसाद बनाकर रखने का वैज्ञान‍िक कारण भी है। यह वो समय होता है जब मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा होता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है। ऐसे में चंद्रमा से न‍िकालने वाली कि‍रणों में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे-सीधे धरती पर आकर ग‍िरते हैं, ज‍िससे इस रात रखे गए प्रसाद में चंद्रमा से न‍िकले लवण व विटामिन जैसे पोषक तत्‍व समाह‍ित हो जाते हैं। ये स्‍वास्‍थ्‍य के ल‍िए बहुत फायदेमंद हैं। ऐसे में इस प्रसाद को दूसरे द‍िन खाली पेट ग्रहण करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। सांस संबंधी बीमार‍ियों में लाभ म‍िलता है। मान‍िसक पेरशान‍ियां दूर होती हैं। जीवन खुशहाल होता है।