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    Sharad Purnima 2022: इस दिन आसमान से बरसता है अमृत, जानें शरद पूर्णिमा तिथि और महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By:
    Updated: Tue, 20 Sep 2022 02:52 PM (IST)

    Sharad Purnima 2022 मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है। साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती है। इसलिए इस दिन पूजा-पाठ करने से और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने भक्तों को बहुत लाभ होता है।

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    Sharad Purnima 2022: पर्व के रूप में जानी जाती है शरद पूर्णिमा तिथि।

    नई दिल्ली, Sharad Purnima 2022: साल में 12 पूर्णिमा तिथि पड़ती हैं लेकिन इन सभी में अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह तिथि शरद पूर्णिमा नाम से प्रख्यात है। शरद पूर्णिमा की गणना पर्व के रूप में की जाती है। इस वर्ष यह पर्व 9 अक्टूबर (Sharad Purnima 2022 Date) के दिन है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है और कहा जाता है कि रात में चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान पवित्र होती हैं। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा 2022 का मुहूर्त और इसका महत्व।

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    शरद पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Sharad Purnima 2022 Muhurat)

    शरद पूर्णिमा तिथि: 9 अक्टूबर 2022, रविवार

    पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 9 अक्टूबर 2022, रविवार सुबह 03:41 मिनट से

    पूर्णिमा तिथि समापन: 10 अक्टूबर 2022, रविवार सुबह 02:25 तक

    शरद पूर्णिमा 2022 महत्व (Sharad Purnima 2022 Imporatance)

    • शारद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा पृत्वी के बहुत निकट होता है और चारों दिशाएं इसकी रौशनी से चमक उठती हैं। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी भ्रमण करती हैं। इसलिए माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही व्यक्ति को धन, समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके साथ यह भी बताया जाता है कि इस दिन चन्द्रमा की किरणों में औषधीय गुण आ जाते हैं इसलिए जिस किसी पर भी इसकी किरणे पड़ती हैं उसके सभी गंभीर रोग दूर हो जाते हैं।

  • कोजागरी के दिन रात के समय खीर बनाकर चन्द्रमा की किरणों के नीचे रखने का विधान है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन आसमना से अमृत वर्षा होती है और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है।

  • डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।