Shankaracharya Jayanti 2023: आज है शंकराचार्य जयंती, जानें-सनातन धर्म के प्रचारक से जुड़े रोचक तथ्य
Shankaracharya Jayanti 2023 सनातन शास्त्रों के अनुसार आदि शंकराचार्य भगवान शंकर के अवतार हैं। इन्होंने सनातन धर्म के जीर्णोद्धार हेतु अथक प्रयास किए। अतः इन्हें धर्म प्रचारक भी कहा जाता है। आदि शंकराचार्य के अथक प्रयासों के चलते सनातन धर्म में नव चेतना जागृत हुई।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shankaracharya Jayanti 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार, वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आदि शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 में 25 अप्रैल यानी आज शंकराचार्य जयंती मनाई जा रही है। इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि आज के दिन सन 788 ई में केरल के कालड़ी में ब्राह्मण परिवार में शंकराचार्य का जन्म हुआ था। सनातन शास्त्रों के अनुसार, आदि शंकराचार्य भगवान शंकर के अवतार हैं। इन्होंने सनातन धर्म के जीर्णोद्धार हेतु अथक प्रयास किए। अतः इन्हें धर्म प्रचारक भी कहा जाता है। आदि शंकराचार्य के अथक प्रयासों के चलते सनातन धर्म में नव चेतना जागृत हुई। आइए, आदि शंकराचार्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जानते हैं-
आदि शंकराचार्य की जन्म कथा
सनातन शास्त्रों के अनुसार, केरल के कालड़ी में एक ब्राह्राण परिवार रहता था। ब्राह्राण व्यक्ति का नाम शिवगुरु नामपुद्रि और उनकी पत्नी का नाम विशिष्टा देवी था। विवाह उपरांत कई वर्षों तक उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। उस समय शिवगुरु नामपुद्रि ने देवों के देव महादेव की कठिन तपस्या की। नामपुद्रि के तप से भगवान शंकर प्रसन्न हुए। एक रात नामपुद्रि के स्वप्न में भगवान शिव आकर बोले- मैं आपकी भक्ति से प्रसन्न हूं। आप फल मांगे। उस समय नामपुद्रि ने अनंतकालीन पुत्र की कामना की।
तब भगवान शिव ने कहा- उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती है। आप कोई अन्य वर मांग लें। यह सुन नामपुद्रि ने भगवान शिव को पुत्र रूप में प्राप्त करने की इच्छा जताई, जिसे भगवान शिव ने स्वीकृति दे दी। कालांतर में नामपुद्रि के घर पर भगवान शिव के स्वरूप आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ।
आदि शंकराचार्य ने 7 वर्ष की उम्र में समस्त वेदों का ज्ञान हासिल कर लिया। वहीं, बारहवें वर्ष में शास्त्र के प्रकांड पंडित बन गए और चार साल बाद शताधिक ग्रंथों की रचना की। आदि शंकराचार्य ने चार वेदों की भांति चार मठों की स्थापना की। ये पुरी मठ, श्रृंगेरी, शारदा मठ और ज्योतिर्मठ हैं, जो वर्तमान में जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और बद्रीनाथ में अवस्थित हैं। इन चार मठों की स्थापना के पश्चात सन 820 ई में आदि शंकराचार्य ने हिमालय में समाधि ले ली।
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