Shani Sade Sati: जीवन में कितनी बार आती है शनिदेव की साढ़े साती, जानिए मुक्ति के उपाय
Shani Sade Sati हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। साथ ही उन्हें कर्मफलदाता भी माना जाता है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ परिणाम देते हैं। शनिदेव जब किसी को दंड देते हैं तो उसके जीवन में साढ़े साती और ढैय्या का चक्र शुरू होता है। आइए जानते हैं कि जीवन में कितनी बार शनिदेव की साढ़े साती आती है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shani Sade Sati: शनि की साढ़े साती 7 साल की होती है। वहीं, ढैय्या साधे दो साल की होती है। यह समय बहुत कष्टों में बीतता है। ऐसे में व्यक्ति को शनि देव के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इन उपायों को करना चाहिए।
क्या है शनि देव की साढ़े साती
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में जन्म राशि अर्थात चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर आरंभ होता है, तो शनि की साढ़े साती आरंभ हो जाती है। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। तीन भावों में होने के कारण शनि की साढ़े सात वर्ष चलती है। इस कारण शनि के इस विशेष गोचर को शनि की साढ़े साती कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की छोटी साढ़े साती तब भी होती है जब शनि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं। इसके अलावा शनि ग्रह किसी की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें और जन्म के चंद्र के ऊपर से गुजरे तब भी शनि की साढ़े साती होती है।
क्या होता है इसका प्रभाव
जब व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती शुरू होती है तो शनि देव दंडनायक बन जाते हैं और व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों का हिसाब देते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती शुरू होती है तो व्यक्ति को जीवन में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
इतनी बार आती है शनि की साढ़े साती
शनि की साढ़ेसाती ढाई-ढाई साल के तीन अंतरालों में आती हैं। पहली साढ़ेसाती में आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है। वही, दूसरे और तीसरे अंतराल में कार्यक्षेत्र, परिवारिक जीवन और सेहत पर असर पड़ता है। साल 2023 में मकर, कुंभ और मीन राशि वालों पर शनि साढ़े साती का प्रकोप चल रहा है। ऐसे में इन राशि के लोगों को ज्यादा से ज्यादा भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।
साढ़े साती से मुक्ति उपाय
- भगवान शिव की उपासना करने से साढ़ेसाती से राहत मिलती है। नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
- पीपल वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है, अतः पीपल को अर्घ देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
- अनुराधा नक्षत्र में अमावस्या हो और शनिवार का योग हो, उस दिन तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
- शनिदेव की प्रसन्नता हेतु शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए।
- शनि से संबंधित वस्तुएं, जैसे लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, काले तिल, उड़द की साबुत दाल, आदि शनिवार के दिन दान करें।
- शनि की दशा से बचने के लिए पंडित से महामृत्युंजय मंत्र द्वारा शिव का अभिषेक कराएं।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।