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    Shani Pradosh Vrat 2023: आषाढ़ मास का अंतिम प्रदोष व्रत कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Fri, 23 Jun 2023 02:24 PM (IST)

    Shani Pradosh Vrat 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। बता दें कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन इस मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।

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    Shani Pradosh Vrat 2023: कब रखा जाएगा आषाढ़ मास का अंतिम प्रदोष व्रत?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shani Pradosh Vrat 2023 Kab: प्रत्येक मास के त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और भक्तों को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि आषाढ़ मास का अंतिम प्रदोष व्रत जुलाई मास के प्रथम दिन रखा जाएगा। यह शनि प्रदोष व्रत होगा, ऐसे में इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की उपासना का विशेष महत्व है।

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    आषाढ़ मास में शनि प्रदोष व्रत 2023 कब? (Shani Pradosh Vrat 2023 Date and Shubh Muhurat)

    हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 01 जुलाई को रात्रि 01 बजकर 16 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 01 जुलाई को मध्य रात्रि 11 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 01 जुलाई 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। पंचांग में बताया गया है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा मुहूर्त शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात्रि 09 बजकर 24 मिनट के बीच किया जा सकेगा।

    शनि प्रदोष व्रत का क्या है महत्व? (Shani Pradosh Vrat 2023 Importance)

    मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव, शनि देव और हनुमान जी की उपासना का विधान है। हनुमान जी भगवा शिव के अंश माने जाते हैं और शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और कुंडली में शनि उच्च स्थिति में रहते हैं। जिससे जातकों को जीवन में बहुत लाभ मिलता है। वहीं प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।