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    Shani Dev Pujan: ऐसे करें चैत्र नवरात्र पर शनि देव को प्रसन्न, जीवन में बनी रहेगी सुख और शांति

    Updated: Sat, 13 Apr 2024 07:00 AM (IST)

    शनिवार के दिन भगवान शनि (Shani Dev Pujan) की पूजा का विधान है। अगर कोई व्यक्ति शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। शनि देव की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी होती है। ऐसे में शाम के समय शनि देव के 108 नामों का जाप करें जो इस प्रकार हैं -

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    Shani Dev Pujan: शनि देव के 108 नाम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Dev Pujan: सनातन धर्म में शनि देव की पूजा का खास महत्व है। शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा होती है। अगर कोई व्यक्ति शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। शनि देव की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी होती है। इसलिए शाम को पीपल के वृक्ष के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

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    फिर शनि देव के 108 नाम का जाप भी करें। इस उपाय को 8 शनिवार लगातार करें। ऐसा करने से शनि दोष समाप्त होगा, तो आइए यहां पढ़ते हैं भगवान शनि के 108 नाम -

    ।।शनि देव के 108 नाम।।

    • शनैश्चर :
    • शांत :
    • सर्वाभीष्टप्रदायिन् :
    • शरण्य :
    • वरेण्य :
    • सर्वेश :
    • सौम्य :
    • सुरवन्द्य :
    • सुरलोकविहारिण् :
    • सुखासनोपविष्ट :
    • सुन्दर :
    • घन :
    • घनरूप :
    • घनाभरणधारिण् :
    • घनसारविलेप :
    • खद्योत :
    • मंद :
    • मंदचेष्ट :
    • महनीयगुणात्मन् :
    • मर्त्यपावनपद :
    • महेश :
    • छायापुत्र :
    • शर्व :
    • शततूणीरधारिण् :
    • चरस्थिरस्वभाव :
    • अचञ्चल :
    • नीलवर्ण :
    • नित्य :
    • नीलाञ्जननिभ :
    • नीलाम्बरविभूषण :
    • निश्चल :
    • वैद्य :
    • विधिरूप :
    • विरोधाधारभूमि :
    • भेदास्पद स्वभाव :
    • वज्रदेह :
    • वैराग्यद :
    • वीर :
    • वीतरोगभय :
    • विपत्परम्परेश :
    • विश्ववंद्य :
    • गृध्नवाह :
    • गूढ़ :
    • कूर्मांग :
    • कुरूपिण् :
    • कुत्सित :
    • गुणाढ्य :
    • गोचर :
    • अविद्यामूलनाश :
    • विद्याविद्यास्वरूपिण् :
    • आयुष्यकारण :
    • आपदुद्धर्त्र :
    • विष्णुभक्त :
    • वशिन् :
    • विविधागमवेदिन् :
    • विधिस्तुत्य :
    • वंद्य :
    • विरुपाक्ष :
    • वरिष्ठ :
    • गरिष्ठ :
    • वज्रांगकुशधर :
    • वरदाभयहस्त :
    • वामन :
    • ज्येष्ठापत्नीसमेत :
    • श्रेष्ठ :
    • मितभाषिण् :
    • कष्टौघनाशकर्त्र :
    • पुष्टिद :
    • स्तुत्य :
    • स्तोत्रगम्य :
    • भक्तिवश्य :
    • भानु :
    • भानुपुत्र :
    • भव्य :
    • पावन :
    • धनुर्मण्डलसंस्था :
    • धनदा :
    • धनुष्मत् :
    • तनुप्रकाशदेह :
    • तामस :
    • अशेषजनवंद्य :
    • विशेषफलदायिन् :
    • वशीकृतजनेश :
    • पशूनांपति :
    • खेचर :
    • घननीलांबर :
    • काठिन्यमानस :
    • आर्यगणस्तुत्य :
    • नीलच्छत्र :
    • नित्य :
    • निर्गुण :
    • गुणात्मन् :
    • निंद्य :
    • वंदनीय :
    • धीर :
    • दिव्यदेह :
    • दीनार्तिहरण :
    • दैन्यनाशकराय :
    • आर्यजनगण्य :
    • क्रूर :
    • क्रूरचेष्ट :
    • कामक्रोधकर :
    • कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण :
    • परिपोषितभक्त :
    • परभीतिहर :
    • भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद :
    • निरामय :
    • शनि :

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'