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Shani Asta 2023: जल्द स्वराशी में अस्त हो रहे हैं शनि देव, ढैय्या और साढ़ेसाती से बचने के लिए करें ये उपाय

Shani Asta 2023 ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का उदित और अस्त होना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके कारण सभी राशियों के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। बता दें जल्द शनि देव स्वराशी में अस्त हो जाएंगे। इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sun, 29 Jan 2023 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2023 12:10 PM (IST)
Shani Asta 2023: जल्द स्वराशी में अस्त हो रहे हैं शनि देव, ढैय्या और साढ़ेसाती से बचने के लिए करें ये उपाय
Shani Asta 2023: दो दिन बाद स्वराशि में अस्त हो रहे हैं शनि देव, करें ये उपाय।

नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Shani Asta 2023 Date and Upay: ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों के अस्त और उदित होने की क्रिया को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि दो दिन बाद यानि 31 जनवरी 2023, मंगलवार (Shani Asta 2023 Date) के दिन शनि देव स्वराशी कुंभ में अस्त होने जा रहे हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि अस्त के कारण जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उन्हें इस अवधि में सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें रोजाना एक अचूक उपाय अवश्य करना चाहिए, जिसकी सहायता से शनि के अशुभ प्रभाव से बचाव किया जा सकता है। आइए जानते हैं शनि अस्त का समय और उपाय।

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शनि अस्त 2023 समय (Shani Asta 2023 Time)

शनि देव ने 17 जनवरी को कुंभ राशि प्रवेश किया था और अब 31 जनवरी को इसी राशि में अस्त होने जा रहे हैं। शनि वक्री 31 जनवरी को सुबह 02 बजकर 46 मिनट पर होगा और शनि 33 दिनों तक इसी स्थिति में रहेंगे। जिसके बाद वह 05 मार्च को रात्रिकाल में उदित होंगे। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कुंभ, मीन, मकर, वृश्चिक और कर्क राशि पर चल रहा है। इस अवधि में ये राशियां रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से शनि के दुष्प्रभाव से बचाव किया जा सकता है।

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa)

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।

बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।

शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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