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    Vinayak Chaturthi 2024: सभी विघ्न से चाहते हैं मुक्ति, तो विनायक चतुर्थी पर करें कथा का पाठ

    भगवान शिव के पुत्र के गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्योंकि वह अपनों भक्तों के सभी तरह के कष्ट हर लेते हैं। अगर आप सभी विघ्न से छुटकारा पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी का व्रत करें और विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करें। ऐसी मान्यता है कि इससे प्रभु की कृपा प्राप्त होगी और सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होंगी।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 07 Aug 2024 05:28 PM (IST)
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    Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी में जरूर करें कथा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में सभी पर्व किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित हैं। यह चतुर्थी गणेश जी को समर्पित है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। इस खास अवसर पर गणपति बप्पा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत किया जाता है। धार्मिक मत है कि ऐसा करने से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। इससे पूजा की प्राप्ति होती है और जातक को जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए पढ़ते हैं विनायक चतुर्थी की व्रत कथा।

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    विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के पास चौपड़ का खेल खेल रहे थे। उसी समय प्रश्न खड़ा हुआ कि खेल में किसकी जीत होगी और कौन हार का सामना करेगा? इसके बाद शिव जी ने घास-फूस से एक बालक को बनाया गया और उसमें प्राण डाल दिए। इसके पश्चात महादेव ने उस बालक को खेल के हार-जीत का निर्णय करने के लिए कहा।

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    इस वजह से माता पार्वती हुईं क्रोधित

    चौपड़ का खेल 03 बार खेला गया और तीनों बार ही माता पार्वती जीत गईं, परंतु बालक ने गलती से महादेव को विजेता बता दिया। बालक के इस फैसले को सुनकर माता पार्वती क्रोधित हुईं, जिसकी वजह से उन्होंने उस बालक को अपाहिज होने का श्राप दे दिया। इसके बाद बालक ने माता पार्वती से अपनी गलती की मांगी। इस पर माता पार्वती ने कहा कि यहां गणेश जी की पूजा के लिए नागकन्या आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम व्रत करना। इस व्रत को करने से तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे।

     

    बालक ने विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा की। इससे गणेश जी प्रसन्न हुए। प्रभु ने बालक को भगवान शिव-पार्वती के पास जाने का वरदान दिया। इसके बाद बालक कैलाश पर्वत पहुंचा। वहीं, माता पार्वती ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए 21 दिन तक गणपति बप्पा का व्रत किया। इससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उस बालक को श्राप से मुक्त किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाद में यह व्रत भगवान शिव ने भी किया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।