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    Sawan Somwar 2023: श्रावण मास का पहला सोमवार व्रत कल? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sun, 09 Jul 2023 12:14 PM (IST)

    Sawan Somwar 2023 श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार के दिन व्रत का पालन कर भगवान शिव की उप ...और पढ़ें

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    Sawan Somwar 2023: सावन प्रथम सोमवार पूजा मुहूर्त और शुभ योग।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan Somwar 2023: भगवान शिव की भक्ति को समर्पित श्रावण मास का शुभारंभ हो चुका है। साथ ही कल यानी 10 जुलाई 2023, सोमवार के दिन श्रावण मास के प्रथम सोमवार व्रत का पालन किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। बता दें कि सावन के प्रथम सोमवार के दिन दो अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। जिसमें पूजा पाठ करने से साधक को विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं, श्रावण प्रथम सोमवार पूजा-मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि।

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    सावन प्रथम सोमवार 2023 शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन का प्रथम सोमवार व्रत श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर रेवती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जो 9 जुलाई को रात्रि 7:29 से शुरू होगा और इसका समापन 10 जुलाई को 18:59 पर हो जाएगा। इसके साथ इस दिन सुकर्मा योग भी बन रहा है जो दोपहर 12:34 से शुरू होगा। इस दौरान पंचक का भी निर्माण हो रहा है। लेकिन भगवान शिव की उपासना में पंचक मान्य नहीं होगा।

    सावन सोमवार व्रत पूजा सामग्री

    भगवान शिव की उपासना के लिए पूजा सामग्री में फूल, पंच फल, रत्न, दक्षिणा, दही, शुद्ध घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, बेलपत्र, धतूरा, भांग, आम मंजरी, गाय का कच्चा दूध, कपूर, चंदन, अक्षत इत्यादी सामग्री शामिल करें।

    सावन प्रथम सोमवार व्रत पूजा विधि

    • सावन के पहले सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान ध्यान के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें। साथ ही माता पार्वती और उनके समस्त परिवार को गंगा जल अर्पित करें। इसके बाद पंचामृत से शिव जी का रुद्राभिषेक करें।

  • रुद्राभिषेक करते समय 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। ऐसा करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, अक्षत, इत्यादि अर्पित करें। ऐसा करने के बाद शिव स्त्रोत का पाठ करें और अंत में शिवजी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

  • डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।