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    Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्र पर रहेगा भद्रा का साया, यहां जाने जलाभिषेक का सही समय

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 10:46 AM (IST)

    हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2025) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा की जाती है। सावन में आने वाली मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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    Sawan Shivratri 2025 जलाभिषेक का सही समय।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन शिवरात्रि का दिन महादेव की आराधना के लिए बहुत ही शुभ माना गया हैं। यह तिथि इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी दिन पर कावड़िएं शिव जी का हिरद्वार से लाए गए गंगाजल से अभिषेक करते हैं। इस बार सावन शिवरात्रि पर भद्रा (shivratri bhadra time) का साया रहने वाला है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस समय शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं।

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    सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Jal Abhishek time)

    सावन शिवरात्रि पर भद्रा का समय प्रातः 5 बजकर 37 मिनट से दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप शिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त में शिव जी का जलाभिषेक कर सकते हैं।

    ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 4 बजकर 15 मिनट से प्रातः 4 बजकर 56 मिनट तक

    अन्य शुभ मुहूर्त -

    • निशिता काल पूजा समय - रात 12 बजकर 7 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक
    • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 7 बजकर 17 मिनट से रात 9 बजकर 53 मिनट तक
    • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 9 बजकर 53 मिनट से रात 12 बजकर 28 मिनट तक
    • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 12 बजकर 28 मिनट से 24 जुलाई प्रातः 3 बजकर 3 मिनट तक
    • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 3 बजकर 3 मिनट से 24 जुलाई प्रातः 5 बजकर 38 मिनट तक

    शिव जी की पूजा विधि

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ होकर साफ-सुथरे कपड़े पहने।
    • मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
    • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और पार्वती माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
    • गंगाजल और शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
    • भगवान शिव को खीर, फल, हलवे आदि का भोग लगाएं।
    • माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
    •  शिव जी व माता पार्वती के मंत्रों का जप करें।
    • दीपक जलाकर आरती करें।
    • अंत में सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    भगवान शिव के मंत्र -

    1. ॐ नमः शिवाय

    2. ॐ नमो भगवते रूद्राय

    3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात

    4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।