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    Sawan Shivratri 2020: देवों के देव महादेव की कैसे हुई उत्पत्ति, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jul 2020 09:31 AM (IST)

    Sawan Shivratri 2020 आज सावन की शिवरात्रि है। हर मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दौरान शिव शंकर की आराधना की जाती है और जलाभिषेक भी किया जाता है।

    Sawan Shivratri 2020: देवों के देव महादेव की कैसे हुई उत्पत्ति, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    Sawan Shivratri 2020: आज सावन की शिवरात्रि है। हर मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दौरान शिव शंकर की आराधना की जाती है और जलाभिषेक भी किया जाता है। यह त्यौहार शिवभक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। शिव शंकर की पूजा कैलाश से लेकर रामेश्वरम तक की जाती है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि भगवान शिव में ऐसा क्या है जो हर कोई इनका भक्त है। महाकाल सर्वव्यापी और सर्वग्राही हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की देवों के देव महादेव की उत्तपत्ति कैसे हुई।

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    शिव पुराण के अनुसार, शिव शंकर को स्वयंभू कहा गया है। इसका मतलब कि इनकी उतपत्ति स्वयं हुई थी। ये जीवन और मौत से परे हैं। वहीं, विष्णु पुराण में शिव के जन्म से संबंधित एक कथा बेहद प्रचलित है। कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को एक बार एक बच्चे की जरुरत थी। इसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की। तपस्या के फल में उन्हें एक रोते हुआ बालक उनकी गोद में प्राप्त हुआ। ये बालक शिव थे। जब ब्रह्मा जी ने बालक से उसके रोने का कारण जानना चाहा तो उस बालक ने बेहद ही मासूमियत से कहा कि उसका कोई नाम नहीं है। उसका नाम ब्रह्मा भी नहीं है। यही कारण है कि वो रो रहा है। यह सुनकर ब्रह्मा जी ने उनका नाम रूद्र रखा। रूद्र का अर्थ रोने वाला होता है।

    विष्णु पुराण में एक पौराणिक कथा यह भी है कि ब्रह्मा पुत्र के रूप ने शिव ने जन्म लिया था। इसके अनुसार, जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब सिर्फ ब्रह्मा, विष्णु और महेश ही थे जो देव या प्राणी के रूप में मौजूद थे। जल सतह पर केवल विष्णु ही लेटे थे। तब उनकी नाभि से कमलनाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। वहीं, जब ये दोनों सष्टि के बारे में वार्तालाप कर रहे थे तब शिव जी प्रकट हुए।

    लेकिन ब्रह्मा जी ने उन्हें पहचानने से साफ मना कर दिया। भगवान विष्णु ने शिव को नाराज होने से रोकने के लिए ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई। तब ब्रह्मा को शिव की याद आई और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। इस पर शिव नाराज हो गए। उन्होंने शिव से क्षमा मांगी। साथ ही आर्शीवाद मांगा कि शिव उनके पुत्र के रूप में पैदा हों। इस बात को शिव ने स्वीकार किया।