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Sawan Shivratri 2020: जानें क्यों है बेलपत्र का इतना महत्व, इन नियमों का जरूर करें पालन

Sawan Shivratri 2020 सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई यानी कल है। इस दिन शिवभक्त भोलेनाथ की आराधना करते हैं। साथ ही उनकी विशेष पूजा भी की जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 10:17 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 11:53 AM (IST)
Sawan Shivratri 2020: जानें क्यों है बेलपत्र का इतना महत्व, इन नियमों का जरूर करें पालन
Sawan Shivratri 2020: जानें क्यों है बेलपत्र का इतना महत्व, इन नियमों का जरूर करें पालन

Sawan Shivratri 2020: सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई यानी कल है। इस दिन शिवभक्त भोलेनाथ की आराधना करते हैं। साथ ही उनकी विशेष पूजा भी की जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए जाने का अलग ही महत्व होता है लेकिन इसके कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना बेहद आवश्यक है। बता दें कि बेलपत्र तोड़ने और चढ़ाने के तरीके निश्चित हैं। ऐसा कहा गया है कि कुछ तिथियों पर बेलपत्र को तोड़ना नहीं चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको इसी की जानकारी दे रहे हैं।

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इस तरह चढ़ाएं बेलपत्र:

  • जो बेलपत्र भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है उसमें छेद नहीं होने चाहिए।
  • शिवलिंग पर तीन पत्ते वाले बेलपत्र चढ़ाने चाहिए जो कोमल और अखण्ड हों।
  • बेलपत्र पर किसी भी तरह का वज्र या चक्र का निशान नहीं होना चाहिए। बता दें कि पत्ते में सफेद दाग चक्र और डंठल में गांठ वज्र कहलाता है।
  • हमेशा शिवलिंग पर बेलपत्र को उल्टा ही चढ़ाना चाहिए।

इन नियमों को ध्यान में रखकर तोड़े बेलपत्र:

चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रान्ति और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए आप एक दिन पहले बेलपत्र तोड़कर रख सकते हैं।

जानें क्यों है बेलपत्र का इतना महत्व:

पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि जब अमृत मंथन हुआ था तब अमृत और विष दोनों ही निकले थे। विष का प्रभाव देखकर देवता और असुर दोनों ही डर गए। ऐसा इसलिए क्योंकि अमृत सब ग्रहण करना चाहते थे लेकिन विष कोई नहीं। क्योंकि इसके तप को कोई झेलने को तैयार नहीं था। इस बात का फैसला लेने देवता और असुर शिव जी के पास गए। सभी ने भोलेनाथ से इस बात पर फैसला या निवारण मांगा। इस पर शिव जी ने उस विष को ग्रहण कर अपने कंठ में रख लिया। इसके प्रभाव से शिव जी को बचाने के लिए औषधि के तौर पर बेलपत्र और विष के ताप को कम करने के लिए जल दिया गया। बेलपत्र की ठंडी तासीर के चलते जहर का असर कम हुआ। इसमें औषधि का प्रभाव भी था। यही कारण है कि शिव जी को जल और बेलपत्र दोनों ही चढ़ाए जाते हैं।  


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