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    Sawan Putrada Ekadashi 2023: इस दिन रखा जाएगा श्रावन मास का अंतिम एकादशी व्रत, जानिए तिथि और महत्व

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Wed, 16 Aug 2023 11:31 AM (IST)

    Sawan Putrada Ekadashi Vrat 2023 वर्ष 2023 में अधिक मास के कारण चार एकादशी व्रत रखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। श्रावण मास का अंतिम एकादशी व्रत सावन पुत्रदा एकादशी व्रत के रूप में रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के उपासना करने से साधकों को सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान प्राप्ति की कामना भी पूर्ण होती है।

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    Putrada Ekadashi Vrat 2023: कब रखा जाएगा सावन मास का अंतिम एकादशी व्रत?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan Putrada Ekadashi Vrat 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2023 में अधिक मास के कारण चार एकादशी व्रत रखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। ऐसे में श्रावण मास का अंतिम एकादशी व्रत पुत्रदा एकादशी व्रत के रूप में रखा जाएगा। बता दें कि यह व्रत पौष और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं, श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत तिथि, व्रत पारण समय और महत्व।

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    श्रावण पुत्रदा एकादशी 2023 तिथि

    हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 27 अगस्त रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी और इस तिथि का समापन 27 अगस्त रात्रि 09 बजकर 32 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत 27 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग में यह भी बताया गया है कि एकादशी व्रत पारण 28 अगस्त सुबह 05 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट के बीच मान्य रहेगा।

    श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत महत्व

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। मान्यता यह भी है कि शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं भी दूर हो जाती है और सांसारिक जीवन को त्यागने के बाद श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है। केवल इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान न करें। हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।