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    Sawan Fourth Somvar 2024: आज है सावन का चौथा सोमवार, नोट करें भोग-पूजन नियम से लेकर सबकुछ

    Updated: Mon, 12 Aug 2024 09:20 AM (IST)

    श्रावण मास का सनातन धर्म में अपार धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त भगवान शिव के लिए सुबह से शाम तक उपवास रखते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं जैसे- रुद्राभिषेक प्रसाद चढ़ाना मंत्र जप और शिव महापुराण का पाठ आदि तो आइए इस शुभ अवसर को और भी कल्याणकारी बनाने के लिए कुछ प्रमुख बातें जानते हैं।

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    Sawan Fourth Somvar 2024: सावन के चौथा सोमवार की पूजा विधि -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन सोमवार का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि यह पावन समय भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करके अपना दिन शिव जी की भक्ति में बिताते हैं। आज यानी 12 अगस्त को चौथा सोमवार (Sawan Fourth Somvar 2024) है, जो बेहद शुभ माना जा रहा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी जानते हैं।

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    सावन के चौथे सोमवार का भोग

    मखाने की खीर और सफेद मिठाई।

    सावन के चौथे सोमवार का शुभ योग

    हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के चौथे सोमवार यानी आज शुक्ल और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। पंचांग के आधार पर शुक्ल योग संध्याकाल 04 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही ब्रह्म योग का संयोग भी बन रहा है। वहीं, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

    सावन के चौथा सोमवार की पूजा विधि

    व्रती इस शुभ दिन पर सुबह उठें और पवित्र स्नान करें। अत्यधिक भक्ति और समर्पण के साथ उपवास का संकल्प लें। तामसिक चीजों से परहेज करें। भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें और उनका पंचामृत और अन्य पवित्र चीजों से अभिषेक करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और बेलपत्र, भांग धतूरा आदि चीजें अर्पित करें। सफेद फूलों की माला अर्पित करें।

    भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र और पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। पूजा का समापन आरती से करें। इस दिन गरीबों को भोजन अवश्य खिलाएं। अगले दिन व्रत का पारण करें।

    इन मंत्रों का करें जाप

    1. ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी

    सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं

    2. है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

    तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।