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    Pradosh Vrat 2025: सावन के पहले प्रदोष व्रत पर ध्रुव योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 02 Jul 2025 07:34 PM (IST)

    सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा। इससे पूर्व त्रयोदशी तिथि (Bhaum Pradosh Vrat 2025 Date) रहेगी। इस दौरान भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा से जीवन में सुखों का आगमन होगा। प्रदोष व्रत के दिन दान-पुण्य भी किया जाता है।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 22 जुलाई को सावन महीने का पहला प्रदोष व्रत है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस व्रत को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ध्रुव योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाएगी। साथ ही उनके निमित्त त्रयोदशी तिथि का व्रत रखा जायेगा। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग के बारे में जानते हैं-

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    कब मनाया जाता है प्रदोष व्रत?

    प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह शुभ दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। त्रयोदशी तिथि पर शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

    सावन महीने में कब-कब है प्रदोष व्रत? (Bhaum Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)

    सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई को है। वहीं, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी बुधवार 06 अगस्त को है। आसान शब्दों में कहें तो मंगलवार 22 जुलाई को सावन माह का पहला प्रदोष है। वहीं, 06 अगस्त को दूसरा प्रदोष व्रत है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा।

    भौम प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सावन माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ध्रुव का संयोग बन रहा है। ध्रुव योग दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक है। शुभ कार्य करने के लिए ध्रुव योग को श्रेष्ठ माना जाता है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी।

    द्विपुष्कर योग

    भौम प्रदोष व्रत पर द्विपुष्कर योग का भी निर्माण हो रहा है। हालांकि, इस योग का संयोग सुबह 05 बजकर 37 मिनट से लेकर 07 बजकर 05 मिनट तक है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फल प्राप्त होगा।

    नक्षत्र एवं चरण

    सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग है। वहीं, तैतिल, गर एवं वणिज करण के योग हैं। इन योग में भक्ति भाव से शिव-शक्ति की पूजा की जाएगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 18 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 37 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।