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    Sawan 2022: भगवान शिव को बिल्कुल भी न चढ़ाएं ये 7 चीजें, मानी जाती हैं अशुभ

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jul 2022 12:44 PM (IST)

    Sawan 2022 वेद-शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा करने के कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों के अनुसार शिवलिंग में किन चीजों को नहीं चढ़ाना चाहिए। इस बारे म ...और पढ़ें

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    Sawan 2022: भगवान शिव को बिल्कुल भी न चढ़ाएं ये 7 चीजें, मानी जाती हैं अशुभ

    नई दिल्ली, Sawan 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जुलाई से सावन मास की शुरुआत हो चुकी है। इस पूरे मास में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। सावन मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का विधान है। लेकिन कई बार भगवान शिव को ऐसी चीजें अर्पित कर देते हैं, जिससे पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। वेद- शास्त्रों में कई ऐसी चीजों के बारे में विस्तार से बताया गया है कि कौन सी चीजें शिवलिंग में चढ़ाना वर्जित माना जाता है। माना जाता है कि इन्हें शिवलिंग में चढ़ाने से भगवान शिव रुष्ट हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि शिवलिंग में कौन सी चीजें न चढ़ाएं।

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    शिव जी को न चढ़ाएं ये फूल

    आमतौर पर भगवान शिव को सफेद और नीले रंग का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। लेकिन इस रंग में कई ऐसे फूल भी है जिन्हें चढ़ाने की मनाही है। शिवलिंग में केतकी का फूल नहीं चढ़ाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी के साथ देने के साथ झूठ बोलने पर भोलेनाथ ने केतकी के फूल को शाप दे दिया था। जिसके बाद से केतकी के फूल का इस्तेमाल शिव जी की पूजा में नहीं करते हैं। इसके अलावा लाल रंग के फूल, चंपा, कमल, कनेर आदि फूल भी नहीं चढ़ाते हैं।

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    शिव जी को न चढ़ाएं हल्दी

    भगवान शिव की पूजा में हल्दी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। क्योंकि हल्दी माता लक्ष्मी का स्वरूप है। इसका इस्तेमाल महिलाएं सौंदर्य के रूप में भी करती है। इसलिए हल्दी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। केवल महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और शिव जी के दौरान ही हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है।

    शिव जी को न चढ़ाएं कुमकुम या रोली

    शिवलिंग में कुमकुम या रोली भी नहीं चढ़ाई जाती है। क्योंकि यह दोनों ही चीजें सुहाग की निशानी है। इसलिए महादेव को कुमकुम या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए।

    शिव जी को न चढ़ाएं तुलसी

    भगवान शिव को तुलसी चढ़ाना भी अशुभ माना जाता है। इसके पीछे एक कथा है। कथा के अनुसार तुलसी माता का नाम वृंदा था जो कि राक्षस जालंधर की पत्नी थी और जालंधर का वध भगवान शिव ने कर दिया था। ऐसे में वृंदा दुखी होकर शिव जी का शाप दे दिया था और तुलसी के पौधे के रूप में आ गई थी। इस कारण तुलसी दल भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है।

    शिव जी को न चढ़ाएं तिल

    भगवान शिव को तिल चढ़ाना भी वर्जित माना जाता है। क्योंकि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था। इसे पितरों के तर्पण और शनि देव को अर्पित किया जाता है।

    शिव जी को न चढ़ाएं नारियल

    शिवलिंग में नारियल या फिर नारियल के पानी से अभिषेक करने की मनाही होती है। क्योंकि श्रीफल मां लक्ष्मी का स्वरूप है। इसी कारण इसे शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है।

    शिव जी को न चढ़ाएं शंख से जल

    भगवान शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है। क्योकि यह भगवान विष्णु को पसंद है। इसके साथ ही भगवान शिव से विष्णु जी के परम भक्त राक्षस शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया। इसी कारण इसे भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती है।

    Pic Credit- Freepik

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    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'