Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Saturday Puja Tips: शनिवार के दिन ऐसे करें भगवान शंकर की पूजा, शनि देव होंगे प्रसन्न

    Updated: Sat, 16 Nov 2024 08:24 AM (IST)

    शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव की पूजा के साथ शिव जी की आराधना करना परम कल्याणकारी होता है क्योंकि भोलेनाथ उनके गुरु हैं। वहीं शनि देव की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी होती हैं। इसलिए शनिवार के दिन पीपल वृक्ष के समक्ष शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

    Hero Image
    Saturday Puja Tips: शनिवार के दिन ऐसे करें भगवान शंकर की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में शनिवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शनि की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर की आराधना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं। इसलिए शनिवार के दिन शिव जी के साथ न्याय के देवता की विधिवत पूजा करें। पीपल वृक्ष के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद उसकी 7 बार परिक्रमा करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिर लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ भाव के साथ करें। पूजा का समापन आरती से करें। इस आसान उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, साथ ही सभी परेशानियों का अंत करते हैं।

    ।।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।

    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

    देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

    रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

    सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

    कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

    दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

    कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

    देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

    अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

    अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

    सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

    परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

    लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

    ।।दशरथकृत शनि स्तोत्र।।

    ।।दशरथ उवाच।।

    प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥

    रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।

    सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥

    याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।

    एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥

    प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।

    पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥

    ।।दशरथकृत शनि स्तोत्र।।

    नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।

    नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥

    नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।

    नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥

    नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।

    नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥

    नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।

    नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥

    नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।

    सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥

    अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।

    नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥

    तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।

    नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥

    ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।

    तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥

    देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।

    त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥

    प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।

    एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥

    ।।दशरथ उवाच।।

    प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।

    अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥

    यह भी पढ़ें: Kartik Purnima 2024: शाम के समय जरूर करें सत्यनारायण भगवान की आरती, मिलेगा पूर्णिमा व्रत का पूरा फल

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।