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    Saraswati Puja 2024: सरस्वती पूजा के दिन करें इस चालीसा का पाठ, जीवन से दूर होगा अंधकार

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 12 Feb 2024 08:45 AM (IST)

    हिंदू धर्म में सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2024) बहुत ही शुभ मानी गई है। यह दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल यह त्योहार14 फरवरी को मनाया जाएगा। ऐसे में जो लोग मां की विशेष कृपा चाहते हैं उन्हें इस दिन श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही पूजा का समापन आरती से करना चाहिए। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

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    Saraswati Puja 2024 - सरस्वती पूजा के दिन करें इस चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Saraswati Puja 2024: हिंदू धर्म में सरस्वती पूजा बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। यह पर्व पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। इस साल यह महापर्व14 फरवरी, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

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    ऐसे में जो लोग मां की विशेष कृपा चाहते हैं, उन्हें इस दिन श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही पूजा का समापन आरती से करना चाहिए।

    ।।श्री सरस्वती चालीसा।।

    जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

    पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हंतु॥

    जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

    जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥

    रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

    जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

    तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥

    वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥

    रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥

    कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

    तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥

    तिन्ह न और रहेउ अवलंबा।केव कृपा आपकी अंबा॥

    करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥

    पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥

    राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥

    मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

    मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

    समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

    मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥

    तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

    चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥

    रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब कांपी॥

    काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥

    जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अंबा॥

    भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥

    एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

    को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥

    विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

    रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥

    दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

    दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

    नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥

    सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

    भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥

    नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥

    पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

    करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुंदर गुण ईशा॥

    धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥

    भक्ति मातु की करैं हमेशा।निकट न आवै ताहि कलेशा॥

    बंदी पाठ करें सत बारा।बंदी पाश दूर हो सारा॥

    रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी॥

    ॥दोहा॥

    मातु सूर्य कांति तव, अंधकार मम रूप।डूबन से रक्षा करहु परूं न मैं भव कूप॥

    बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

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    डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी''।

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