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    Saphala Ekadashi 2025: दिसंबर में कब रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत? एक क्लिक में जानें डेट से लेकर सबकुछ

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 06:30 PM (IST)

    सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2025) हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो पौष माह के कृष्ण पक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी कार्य सफल होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल यह व्रत कब किया जाएगा? आइए इसकी सही डेट यहां जानते हैं।

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    Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सफला एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व रखती है। यह एकादशी हर साल पौष महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी काम सफल होते हैं और उसे जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल यह व्रत (Saphala Ekadashi 2025) किस दिन पड़ रहा है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    सफला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Saphala Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 14 दिसंबर को रात 08 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए 15 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत रखा जाएगा।

    सफला एकादशी का महत्व (Saphala Ekadashi 2025 Significance)

    सफला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है और काम में आ रहीं सभी बाधाएं दूर होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो साधक सफला एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें हजारों सालों की तपस्या के बराबर फल मिलता है। साथ ही इसका पालन करने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।

    पूजा विधि (Saphala Ekadashi 2025 Puja Rituals)

    • व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि की शाम को सात्विक भोजन करें।
    • एकादशी की सुबह स्नान करके हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
    • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, और तुलसी दल अर्पित करें।
    • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
    • केला, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं।
    • ध्यान रखें कि एकादशी पर चावल का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।
    • इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
    • अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का पारण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।