Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी पर करें तुलसी कवच का पाठ, मिलेगा श्री हरि का आशीर्वाद
सफला एकादशी का व्रत बहुत मंगलकारी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से घर में देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। वहीं इस दिन तुलसी पूजा को भी बहुत ही शुभकारी माना गया है। इसके साथ ही इस दिन (Saphala Ekadashi 2024) तुलसी कवच का पाठ बहुत ही फलदायी माना गया है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों सफला एकादशी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और यह सबसे पावन दिनों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोग इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं और श्री हरि की खास पूजा-अर्चना करते हैं। कहते हैं कि इस तिथि पर तुलसी पूजन भी अवश्य करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। ऐसे में सुबह उठकर तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और उन्हें फूल, माला और मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। फिर उनके समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं।
फिर तुलसी कवच का पाठ करें और आरती से पूजा को समाप्त करें। ऐसा करने से आपका सोया हुआ भाग्य भी जाग जाएगा। इसके साथ ही घर में कभी धन से जुड़ी कोई समस्या नहीं आएगी। पंचांग के अनुसार, इस साल सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2024) 26 दिसंबर को मनाई जाएगी।
।।तुलसी कवच।।
तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।
शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।।
दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।
घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।।
जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।
स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।।
पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।
कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।।
जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।
नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।।
संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।
नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।।
इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।
मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।।
मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।
वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।।
द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।।
अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।
पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।।
राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये I
भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।।
जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।
उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।।
तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।
सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।।
मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।
या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।।
सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।
वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।।
साSपिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।
अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।।
पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।
कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।।
श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत् ।
किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।।
यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।
मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।।
जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।
मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।।
।।तुलसी माता की आरती।। (Ekadashi Par Karen Maa Tulsi Ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।
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