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    Sankashti Chaturthi 2025: एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर करें इस कथा का पाठ, मिलेगा व्रत का पूरा फल

    Updated: Fri, 16 May 2025 11:54 AM (IST)

    सनातन धर्म में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस शुभ दिन (Sankashti Chaturthi 2025 Katha) पर बप्पा की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज यानी 16 मई को मनाई जा रही है।

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    Sankashti Chaturthi 2025: एकदंत संकष्टी चतुर्थी कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज यानी 16 मई को मनाई जा रही है। कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    वहीं, इस दिन (Sankashti Chaturthi 2025) जो साधक व्रत कर रहे हैं, उन्हें इसकी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि यह पूजा का अहम भाग माना जाता है, तो आइए पढ़ते हैं।

    एकदंत संकष्टी चतुर्थी कथा (Sankashti Chaturthi 2025 Katha)

    एक समय की बात है एक बार नदी के तट पर देवी पार्वती भगवान शंकर के साथ बैठी थीं। तभी उन्होंने चौपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में भगवान शंकर ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया। ताकि खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके बाद पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया। इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता।

    इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा (Ganesh Chaturthi Puja Time) से गौरी पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी मुश्किलों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुशी-खुशी व्यतीत करने लगता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।