Sai Chamatkar Katha: जब साईं बाबा ने प्रसिद्ध ज्योतिष और वेदज्ञ का संशय किया था दूर
Sai Chamatkar Katha आज गुरुवार है और आज का दिन विष्णु जी के साथ-साथ शिरडी वाले साईं बाबा को भी समर्पित है। उन्हें शिरडी वाले बाबा कहा जाता है लेकिन वो शिरडी कैसे आए यह सटीक तौर पर किसी को पता नहीं है।

Sai Chamatkar Katha:आज गुरुवार है और आज का दिन विष्णु जी के साथ-साथ शिरडी वाले साईं बाबा को भी समर्पित है। उन्हें शिरडी वाले बाबा कहा जाता है लेकिन वो शिरडी कैसे आए यह सटीक तौर पर किसी को पता नहीं है। इसके लिए एक चामत्कारिक कथा बताई जाती है। मान्यता है कि बाबा पहली बार 16 वर्ष की आयु में शिरडी में नीम के पेड़ के नीचे पाए गए थे। वो वहां कैसे आए इसके बारे में किसी को सटीक तौर पर कुछ नहीं पता है। इस बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिरडी वाले साईं बाबा के भक्त पूरी दुनिया में मौजूद हैं। उनके चमत्कार के किस्से भी जगजाहिर हैं। इसी तरह के किस्से हम लगातार आपको अपने लेखों के द्वारा बता रहे हैं। आज भी हम आपके लिए साईं बाबा के चमत्कार की एक अन्य कथा पेश कर रहे हैं।
एक बार नासिक के मुले शास्त्री, नागपुर के धनपति बापू साहेब बूटी के साथ शिरडी पधारे। बापू साहेब बूटी साईं भक्त थे। वहीं, मुले शास्त्री नासिक के प्रसिद्ध ज्योतिष, वेदज्ञ, 6 शास्त्रों सहित सामुद्रिक शास्त्र में पारंगत थे। वे हस्तरेखा विशारद भी थे जिसके चलते मुले शास्त्री ने बाबा के हाथ की परीक्षा करने की आशा जताई। लेकिन बाबा ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और मुले शास्त्री को 4 केले दिए और इसके बाद सब लोग वाड़े को लौट आए। जब सभी लोग वाड़े से लौटे तो आरती के दौरान बापूसाहेब से साईं बाबा ने कहा कि वो मुले से कुछ दक्षिणा ले आएं।
जब मुले दक्षिणा देने के लिए गए तो वे मस्जिद के बाहर ही खड़े हो गए और वहीं से बाबा पर पुष्प फेंकने लगे। फिर जब मुले ने ध्यान से देखा तो उन्हें साईं बाबा की जगह कोई और खड़े दिखाई दिए। बाबा की जगह उनके कैलासवासी गुरु घोलप स्वामी मुले को दिखाई देने लगे। मुले उनकी स्तुति में लग गए और दोबारा जब मुले ने आंखें खोलीं तो उन्हें बाबा को दक्षिणा मांगते देखा। यह चमत्कार देख मुले शास्त्री का संशय दूर हो गया।

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