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    Sai Chamatkar Katha: जब साईं बाबा ने एक डॉक्टर को खुद में कराए थे श्री राम के दर्शन

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 01 Oct 2020 09:00 AM (IST)

    Sai Chamatkar Katha आज साईं बाबा का दिन है। आज के दिन साईं बाबा की पूजा और व्रत किया जाता है। साईं बाबा हमेशा ही कहते हैं कि राम और रहीम दोनों एक ही हैं। दोनों में किंचित् मात्र भी भेद नहीं है।

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    जब साईं बाबा ने एक डॉक्टर को खुद में कराए थे श्री राम के दर्शन

    Sai Chamatkar Katha: आज साईं बाबा का दिन है। आज के दिन साईं बाबा की पूजा और व्रत किया जाता है। साईं बाबा हमेशा ही कहते हैं कि राम और रहीम दोनों एक ही हैं। दोनों में किंचित् मात्र भी भेद नहीं है। अज्ञानी लोगों में एकता साधकर दोनों जातियों को मिलजुल कर रहना चाहिए। साईं बाबा के चमत्कारों के बारे में हम सभी जानते हैं। बाबा ने अपने भक्तों के लिए कई चमत्कार किए हैं। हम लगातार आपको साईं बाबा के चमत्कारों की कहानियां सुना रहे हैं। आज भी हम आपके लिए आपके लिए साईं बाबा के चमत्कार की एक अन्य कथा पेश कर रहे हैं। आइए पढ़ते हैं साईं बाबा के चमत्कार की कथा।

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    एक बार एक डॉक्टर साईं बाबा की नगरी शिरडी आए। ये डॉक्टर अपने एक दोस्त के साथ यहां आए थे जो सांईं भक्त थे। डॉक्टर ने अपने मित्र से कहा कि तुम ही दर्शन करने जाओ मैं नहीं जाऊंगा। क्योंकि में श्री राम के अलावा और किसी के भी सामने अपना सिर नहीं झुकाता हूं। वो भी किसी यवन के सामने और मस्जिद में तो बिल्कुल नहीं। यह सुन डॉक्टर के दोस्त ने कहा कि साईं बाबा के दरबार में तुम्हें कोई झुकने या नमन करने को नहीं कहेगा। किसी तरह का कोई बंधन नहीं है। अत: मेरे साथ चलो, आनंद रहेगा। वो दोनों शिरडी पहुंचे और बाबा के दर्शन किए।

    दोनों दरबार पहुंचे। लेकिन डॉक्टर को सबसे आगे जाते देख और बाबा की प्रथम चरण वंदना करते देख सभी को बेहद विस्मय हुआ। वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर से पूछा कि ऐसा क्या हुआ जो वो सबसे आगे रहे और सबसे पहले चरण वंदना की। तब डॉक्टर ने बताया कि उन्हें अपने प्रिय ईष्टदेव श्रीराम के दर्शन हुए। इसी के चलते उन्होंने उन्हें नमस्कार किया। जब डॉक्टर ने ऐसा कहा कि तब उन्हें सांईंबाबा का रूप दोबारा दिखने लगा। यह देख डॉक्टर बेहद अचंभित हुआ। उसने कहा कि क्या यह एक सपना है। ये यवन कैसे हो सकते हैं। साथ ही कहा कि यह तो पूर्ण योग-अवतार हैं। इसके बाद डॉक्टर वहीं रुका और उन्हें परम अनुभूति का अनुभव हुआ।