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    Sai Baba Chamatkar Katha: जब बाबा ने अपने भक्त को दिया था 'पहला सुख निरोगी काया' का आशीर्वाद

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 10 Sep 2020 11:38 AM (IST)

    Sai Baba Chamatkar Katha सबका मालिक एक... साईं बाबा के बारे में कहा जाता है कि इनके सामने हिंदू से लेकर मुस्लिम तक हर कोई सिर झुकाता है।

    Sai Baba Chamatkar Katha: जब बाबा ने अपने भक्त को दिया था 'पहला सुख निरोगी काया' का आशीर्वाद

    Sai Baba Chamatkar Katha: सबका मालिक एक... साईं बाबा के बारे में कहा जाता है कि इनके सामने हिंदू से लेकर मुस्लिम तक हर कोई सिर झुकाता है। बाबा हमेशा कहते थे, "राम और रहीम दोनों एक ही हैं और उनमें किंचित् मात्र भी भेद नहीं है। फिर तुम उनके अनुयायी होकर क्यों परस्पर झगड़ते हो। अज्ञानी लोगों में एकता साधकर दोनों जातियों को मिलजुल कर रहना चाहिए।" मान्यता है कि अगर साईं बाबा के सामने कोई भक्ति भावना के साथ माथा टेकता है तो भक्तों की हर तरह की समस्या दूर हो जाती है। साथ ही भक्तों को उनकी समस्या का समाधान तुरंत मिल जाता है। साईं बाबा के चमत्कार जगजाहिर हैं। ऐसे में आज हम आपको साईं बाबा के इन्हीं चमत्कारों में से एक की जानकारी दे रेह हैं।

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    मध्यप्रदेश के हरदा गांव के व्यक्ति रहता था जिसका नाम दत्तोपंतजी था। यह साईं बाबा का बहुत बड़े भक्त था। दत्तोपंतजी को 14 वर्ष से पेट दर्द की परेशानी थी। इससे छुटकारा पाने के लिए उसने हर तरह का इलाज कराया था। लेकिन पीड़ा टस से मस रही। उनकी इस बीमारी का समाधान नहीं हुआ। जब उसने साईं बाबा की प्रसिद्धि के बारे में सुना तो वो भी बाबा के दर्शन के लिए शिर्डी पहुंच गया। उसने शिर्डी में बाबा के दर्शन किए और उनके चरणों पर सिर रख दिया। दत्तोपंतजी ने कहा कि इस पेट दर्द ने उसे बहुत परेशान कर दिया है। इसका दर्द इतना होता है कि कई तो दर्द सहने लायक नहीं होता है। साथ ही यह भी कहा, "इस जन्म में शायद मैंने कोई गुनाह जरूर किया होगा। या हो सकता है कि ये पिछले जन्म के पाप हों जो इस जन्म में मुझे भुगतने पड़ रहे हैं।" 

    दत्तोपंत की ओर प्रेमपूर्ण भाव को देख बाबा अत्यंत प्रसन्न हुए। यह देख बाबा ने उसके सिर पर वरदहस्त रखा। साथ ही कहा कि तुम जल्दी अच्छे हो जाओगे। फिर बाबा ने उन्हें ऊदी भी दी। बाबा का आशीर्वाद पाकर और ऊदी प्रसाद ग्रहण कर वो पूरी तरह स्वस्थ हो गया। आगे भविष्य में उसे न कोई रोग हुआ और कोई शोक। कहा जाता है कि पहला सुख निरोगी काया।