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    Rudraksha significance: भगवान शिव से जुड़ा है रुद्राक्ष, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 05 Feb 2024 12:19 PM (IST)

    सनातन धर्म में रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है। इसे धारण करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष को लेकर कई सारी मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह (Rudraksha significance) महादेव के आंसू से बना है। इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। तो चलिए इससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातों को जानते हैं -

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    आइए जानते हैं रुद्राक्ष से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudraksha significance: प्राचीन काल से अपनी दिव्य शक्तियों के कारण रुद्राक्ष को बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने का अवसर केवल उन्हीं को मिलता है, जिन पर देवों के देव महादेव की कृपा होती है। 'रुद्राक्ष' का अर्थ है - रूद्र का अक्ष यानी शिव के अश्रु।

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    इस आध्यात्मिक मोती की उत्पत्ति की कहानी बताती है कि इसे स्वयं शिव का आशीर्वाद क्यों माना जाता है ? तो आइए इससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

    कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति?

    रुद्राक्ष को लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके पास कई प्रकार दैवीय ऊर्जा थी, जिसके चलते वह बेहद अहंकारी हो गया था और वह देवताओं और ऋषि-मुनियों को परेशान करने लगा था। उससे परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव से उसे मारने की प्रार्थना की।

    देवताओं की पीड़ा सुनकर भगवान शिव ध्यान में चले गए। इसके बाद जब उन्होंने आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू निकलें। पृथ्वी पर जहां-जहां उनके आंसू गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष का पेड़ उग आया। साथ ही शिव जी ने त्रिपुरासुर का वध कर पूरे जगत में फिर से शांति स्थापित की।

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    कितने मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं ?

    रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से एक सूखा फल है, जो रुद्राक्ष के पेड़ पर उगता है। जाप करने वाली माला में आमतौर पर 108 रुद्राक्ष होते हैं। ये अलग-अलग रूपों में पाए जा सकते हैं, यानी 1 मुखी से लेकर 27 मुखी तक। जो साधक इन्हें धारण करते हैं उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता।

    रुद्राक्ष धारण करने का नियम और समय

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष की तिथि, जैसे- पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी आदि के दिन धारण करना चाहिए। साथ ही इसे धारण करते समस पवित्रा का खास ख्याल रखना चाहिए। भोलेनाथ का ध्यान और 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।

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